बार्सिलोना। पिछले साल 7 अक्तूबर से ही इजरायल-हमास के बीच युद्ध जारी है। इस युद्ध में 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हमास के अंत का लक्ष्य लेकर गाजा पर बम बरसा रहे इजरायल को एक बड़ा झटका लगा है। नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने फलस्तीन को देश के रूप में मान्यता देना की घोषणा कर दी है। नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गार स्टोर ने कहा कि इजरायल के हित में यही है कि टू-स्टेट सॉल्यूशन हो जाए।

नॉर्वे अरब शांति योजना का समर्थन करता है: पीएम जोनास गार स्टोर

दरअसल, टू-स्टेट सॉल्यूश का मतलब है कि इजरायल और फलस्तीन दोनों को देश का दर्जा मिले। भारत भी टू-स्टेट सॉल्यूशन की वकालत करता आया है। पीएम जोनास गार स्टोर ने आगे कहा कि जबतक फलस्तीन को देश की मान्यता नहीं दी जाती तबतक मध्य पूर्व में शांति नहीं हो सकती। गहर स्टोरे ने कहा कि स्कैंडिनेवियाई देश आधिकारिक तौर पर 28 मई तक एक फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा। उन्होंने कहा, “फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देकर, नॉर्वे अरब शांति योजना का समर्थन करता है।”

नॉर्वे यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं

पिछले हफ्तों में कई यूरोपीय संघ के देशों ने संकेत दिया है कि वे फलस्तीन को मान्यता देने की योजना बना रहे हैं। उनका तर्क है कि क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए दो-राज्य समाधान आवश्यक है। बता दें कि नॉर्वे यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है।

हमारी कैबिनेट की मीटिंग 28 मई को होगी: स्पेन के पीएम

नॉर्वे के ऐलान के बाद आयरलैंड के प्रधानमंत्री सिमॉन हैरिस ने भी फलस्तीन को देश के रूप में मान्यता देने की बात कही। हैरिस ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि आज आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने फलस्तीन को मान्यता देना का फैसला किया है। स्पेन के पीएम पेड्रो सैंशेज ने कहा कि इस मामले पर हमारी कैबिनेट की मीटिंग 28 मई को होगी।

इजरायल हुआ आग-बबूला

इन तीनों देश के फैसले से इजरायल नाराज है। इजरायल ने आयरलैंड और नॉर्वे से अपने राजदूतों को तत्काल वापस लौटने का आदेश दिया है। इजरायल ने कहा कि इस फैसले से अतिवाद बढ़ेगा और मध्य पूर्व में अशांति बढ़ेगी।