राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने पंजाब और पश्चिम बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए रोजगार में आरक्षण कोटा बढ़ाने की सिफारिश की है। आयोग का यह फैसला मौजूदा आरक्षण नीतियों, मौखिक बयानों और दस्तावेजी साक्ष्यों की समीक्षा करने के बाद आया है, जिसका उद्देश्य इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना है।वर्तमान समय में पंजाब में रोजगार के क्षेत्र में कुल 37 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जिसमें 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति को और 12 प्रतिशत आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को दिया गया है। एनसीबीसी ने पंजाब में रोजगार में ओबीसी के लिए 13 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश की है, जिससे ओबीसी वर्ग का कुल आरक्षण 25 प्रतिशत हो जाएगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 50 प्रतिशत तक आरक्षण की सीमा तय की है। पंजाब सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव डी के तिवारी 22 फरवरी को एनसीबीसी में उपस्थित हुए थे और उन्होंने आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता जताई थी।पश्चिम बंगाल में ओबीसी वर्ग में 35 नई जातियां/समुदाय शामिल किए गए हैं। पश्चिम बंगाल में ओबीसी की राज्य सूची में कुल 179 ओबीसी समुदाय सूचीबद्ध हैं। श्रेणी 'ए' (अधिक पिछड़ी) में 81 जातियां हैं, जिनमें से 73 जातियां मुस्लिम धर्म से संबंधित हैं। श्रेणी 'बी' (पिछड़ा) में 98 जातियां हैं, जिनमें से 45 समुदाय मुस्लिम धर्म से संबंधित हैं। श्रेणी 'ए' (अधिक पिछड़ा) के लिए आरक्षण 10 प्रतिशत और श्रेणी 'बी' (पिछड़ा) के लिए आरक्षण सात प्रतिशत है।पश्चिम बंगाल में रोजगार के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण कोटा क्रमशः 22 प्रतिशत, छह प्रतिशत और 17 प्रतिशत है।