नई दिल्ली। शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) ने साल 1959 में सत्यजीत रे निर्देशित बंगाली फिल्म 'अपुर संसार' से करियर शुरू किया। बंगाली सिनेमा में नाम कमाने के पांच साल बाद अभिनेत्री ने हिंदी की ओर रुख किया और 'कश्मीर की कली' (1964) में काम किया। शर्मिला ने धीरे-धीरे बॉलीवुड में कब्जा कर लिया और वह उस वक्त की सबसे बोल्ड और महंगी अभिनेत्रियों की लिस्ट में शुमार हो गईं। मगर कई बार करियर के चक्कर में अभिनेत्रियां परिवार पर ध्यान नहीं दे पाती हैं। शर्मिला टैगोर के साथ भी कुछ ऐसा ही है। करियर के पीक पर आकर शर्मिला ने 1968 में पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान (Mansoor Ali Khan) से शादी कर ली थी। फिर 2 साल बाद वह मां बन गई थीं और 1970 में सैफ अली खान (Saif Ali Khan) को जन्म दिया था। शर्मिला टैगोर उस वक्त हिंदी सिनेमा की डिमांडिंग एक्ट्रेस थीं। मां बनने के बाद वह डबल शिफ्ट में शूटिंग किया करती थीं और इस वजह से वह अपने बेटे सैफ पर ध्यान नहीं दे पा रही थीं। वह 6 साल तक सैफ के लिए पूरी तरह मौजूद नहीं रह पाईं, जिसका उन्हें आज तक मलाल है। एक हालिया इंटरव्यू में अभिनेत्री का इस पर दर्द छलका है।
54 साल बाद शर्मिला टैगोर को है पछतावा
एक मदर्स डे से जुड़े एक इवेंट में शर्मिला टैगोर ने कहा, "जब मेरे पास सैफ थे, तब मैं बहुत बिजी रहती थी। मैं एक दिन में दो शिफ्टों में काम कर रही थी और उनकी जिंदगी के पहले 6 सालों में मैं वाकई मौजूद नहीं थी। मुझे जो कुछ भी करना था, मैंने किया। मैं पेरेंट्स मीटिंग-टीचर मीटिंग में गई, उसके ड्रामा वगैरह को अटैंड किया लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं एक फुल टाइम मां थी।" शर्मिला ने आगे कहा, "मेरे पति उसके लिए मौजूद रहते थे, लेकिन मैं नहीं थी। फिर जब मैं मां बनी तो मैं ज्यादा उत्साही मां बन गयी। मैं उसे खाना खिलाना, नहलाना और सब कुछ करना चाहती थी। ईमानदारी से कहूं तो मैंने कुछ गलतियां की हैं।"
शर्मिला टैगोर के सपोर्ट सिस्टम थे पति
सैफ के अलावा शर्मिला और मंसूर को दो बेटियां सबा और सोहा हैं। एक्ट्रेस ने कहा कि भले ही वह अपने बेटे के लिए मौजूद नहीं रहीं, लेकिन पति और उनके दोस्त-परिवार ने बहुत साथ दिया। इस बारे में शर्मिला ने कहा, "उनकी एक स्कूल फ्रेंड मुंबई में हमारे घर के पास रहती थी। वह और उनके पति वास्तव में सैफ की भी देखभाल करते थे। मैंने अपनी बेटियों की परवरिश की है।"