सीतामढ़ी । बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर सरकार के स्तर से अबतक न जाने कितने नियम-कायदे बनाए गए। ताकि जमीन की खरीद-बिक्री में कोई फर्जीवाड़ा न हो और लोग आसानी से यह काम कर सके। वैसे भी बिहार में भूमि विवाद के निराकरण और मामले को कम करने के लिए सरकार जितनी कोशिश करती है, वह और पेंचीदा ही बनता जाता है। बहरहाल, अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से जमीन की खरीद-बिक्री में एक नया ही मोड़ आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट के स्तर से हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप किए जाने से जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, आदेश में यह साफ कहा गया था कि बिना दाखिल खारिज के जमीन की खरीद-बिक्री नहीं होगी। कोर्ट के आदेश के बाद सूबे में एक तरह से हड़कंप मच गया था और अचानक जमीन की बिक्री घट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में हस्तक्षेप कर बड़ी राहत दी है। यानी अब बिना दाखिल खारिज के भी जमीन की खरीद-बिक्री की जा सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट के हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दिया है। अब इसकी सुनवाई सितंबर में होनी है। आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि बिहार सरकार के द्वारा 10 अक्टूबर 2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में संशोधन कर इसमें एक नया नियम जोड़ दिया गया है। यानी जमीन की खरीद बिक्री या दान तभी हो सकता है, जब जमीन बेचने एवं दान देने वाले के नाम से जमाबंदी होगा। इस संशोधन के खिलाफ हाईकोर्ट, पटना में याचिका दाखिल की गई थी, इस हाईकोर्ट ने सही करार देकर चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी थी।
जिनके नाम से जमीन की जमाबंदी होगी, वहीं जमीन की बिक्री कर सकते है। बिहार सरकार के इस नए नियम से जमीन की खरीद-बिक्री कम हो गई है। दरअसल, बिना जमाबंदी के ही जमीन की खरीद-बिक्री चल रही थी। इसमें फर्जीवाड़ा भी होता था। नीतिश सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जमीन की जमाबंदी करने लिए पंचायत स्तर पर सप्ताह ने तीन दिन शिविर लगाने का निर्णय लिया था। डीएम मनेश कुमार मीणा ने कहा था कि विक्रेता और दानकर्ता के नाम से जमाबंदी कायम होने की स्थिति में ही संबंधित भूमि और संपत्ति का निबंधन किया जाएगा।