लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदाताओं में भारी उत्साह देखने को मिला। अनुच्छेद 370 हटने और जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के लगभग पांच साल बाद हो रहे लोकसभा चुनाव में कश्मीर में जम्हूरियत का चटख रंग दिखा।बदले माहौल की वजह से पहली बार न अलगाववादियों की ओर से चुनाव का बहिष्कार किया गया, न ही आतंकियों की ओर से चुनाव से अलग रहने की धमकी। इस वजह से लोगों ने निडर होकर वोट किया और सर्वाधिक मतदान का 28 वर्ष का रिकॉर्ड बना दिया। 1989 में आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद हुए चुनाव में 1996 (40.94 प्रतिशत) को छोड़कर सबसे अधिक 37.98 फीसदी मतदान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर में 14.43 फीसदी मतदान हुआ था।श्रीनगर में वोटिंग को लेकर मतदाताओं में इस कदर उत्साह रहा कि कोई सीधे शादी के मंडप से मतदान केंद्र पहुंचा, तो कोई मेहंदी की रस्म के बाद। कोई शेरवानी में नजर आया तो कोई पारंपरिक वेशभूषा में। उत्साह ऐसा रहा कि चलने फिरने में असमर्थ लोग भी व्हीलचेयर के सहारे मतदान करने पहुंचे।
अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद श्रीनगर में ढाई गुना अधिक वोटिंग
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