नई दिल्ली। ध्रूव राठी का एक वीडियो रीट्वीट करने के मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शिकायतकर्ता के साथ विवाद सुलझाने के लिए समय दिया है। सोमवार को इस मामले में हुई सुनवाई को लेकर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि पहले से दी गई अंतरिम रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी।
11 मार्च के बाद शिकायतकर्ता से कोई संपर्क नहीं
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि 11 मार्च को आखिरी सुनवाई के बाद दोनों पक्ष समझौते पर चर्चा के लिए एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर सके। दरअसल, केजरीवाल ने मई 2018 में आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें जारी किए गए समन को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
शिकायतकर्ता के वकील ने दी ये दलीलें
शिकायतकर्ता के वकील विकास सांकृत्यायन ने कहा कि पिछली सुनवाई के बाद किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया। पीठ ने वकील से कहा कि अब केजरीवाल का पक्ष शिकायतकर्ता से संपर्क करेगा और मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में तय कर दी गई है। 11 मार्च को शीर्ष अदालत ने केजरीवाल से पूछा था कि क्या वह शिकायतकर्ता से माफी मांगना चाहते हैं?
ऐसे माफी मांगे केजरीवाल
दरअसल, केजरीवाल ने 26 फरवरी को शीर्ष अदालत से कहा था कि उन्होंने भाजपा आईटी सेल से संबंधित यूट्यूबर राठी द्वारा प्रसारित कथित अपमानजनक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की थी। सांकृत्यायन की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि केजरीवाल अपने कृत्य के लिए 'X' या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफी मांग सकते हैं।
केजरीवाल से SC ने पूछे थे ये सवाल
26 फरवरी को शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किए बिना शिकायतकर्ता से पूछा था कि क्या वह याचिकाकर्ता द्वारा अपनी गलती स्वीकार करने के मद्देनजर मामले को बंद करना चाहते हैं। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से अगले आदेश तक केजरीवाल से जुड़े मानहानि मामले की सुनवाई नहीं करने को कहा था। 5 फरवरी के अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने कहा कि अपमानजनक सामग्री को दोबारा पोस्ट करने पर मानहानि कानून के प्रावधान लागू होंगे।
ध्रूव राठी की वीडियो में क्या?
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल को तलब करने वाले ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा था कि जब कोई सार्वजनिक व्यक्ति मानहानिकारक पोस्ट ट्वीट करता है, तो इसका प्रभाव किसी के कान में फुसफुसाहट से कहीं अधिक होता है। मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय में कहा था कि निचली अदालत यह समझने में विफल रही कि उनके ट्वीट का उद्देश्य शिकायतकर्ता को नुकसान पहुंचाना नहीं था। सांकृत्यायन ने दावा किया कि 'बीजेपी आईटी सेल पार्ट II' शीर्षक वाला यूट्यूब वीडियो जर्मनी में रहने वाले राठी द्वारा प्रसारित किया गया था, इस वीडियो में कई झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए थे।