भोपाल । लोकसभा चुनाव बाद आगार्मी कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन और उनकी मॉनिटरिंग के लिए भाजपा में एक बार फिर से संभागीय संगठन मंत्रियों की नियुक्ति होगी। हालांकि इस बार संगठन मंत्रियों के कार्य करने की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किए जाने की खबर है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए उच्चस्तर पर विचार शुरू हो गया है पर इस बार व्यवस्था को बदलाव के साथ लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इसका खाका तैयार कर रहा है। गौरतलब है कि अगस्त 2021 में राजगढ़ में प्रदेश पदाधिकारी बैठक के दौरान संभागीय संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की परंपरा पर रोक की अंतिम मुहर लगी थी, जिसके बाद संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाने का प्रदेश संगठन की ओर से फैसला लिया गया।
भाजपा प्रदेश संगठन में हुए इस बदलाव के बाद कई तरह की अटकलें शुरू हो गई थी। कहा यह भी जा रहा था कि हो सकता है संगठन स्तर पर कोई नई व्यवस्था बनाई जाए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बदली व्यवस्था के तहत संघ के पैटर्न पर अब संभागीय संगठन मंत्रियों की नई नियुक्ति की जाएगी, जिसमें संघ के प्रचारकों को बड़ी भूमिका दी जा सकती है। गौरतलब है की करीब दो साल पहले जब संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाया गया था तब शैलेन्द्र बरुआ - ग्वालियर, जितेंद्र लिटोरिया - उज्जैन, आशुतोष तिवारी - भोपाल, श्याम महाजन - रीवा - शहडोल, जयपाल चावड़ा -इंदौर और केशव सिंह भदौरिया - सागर संभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
शिकायतों के चलते हटाए गए थे
गौरतलब है कि भाजपा में कुछ समय पहले तक हर संभाग और जिलों तक में संगठन मंत्री होते थे जो पार्टी के संगठन के काम को विस्तार देने के साथ विचारधारा को कार्यकर्ताओं के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का काम करते थे। इन संगठन मंत्रियों की भूमिका संगठन में बेहद महत्वपूर्ण होती थी। इनकी रिपोर्ट पर ही विधानसभा लेकर स्थानीय चुनाव मे प्रत्याशियों के नाम तय किए जाते थे। एक समय था जब पार्टी में 32 संगठन मंत्री हुआ करते थे। इनमें कई संगठन मंत्रियो को एक या दो जिलों का प्रभार दिया जाता था। उसके बाद संभागीय संगठन मंत्री होते थे। यह सभी संगठन मंत्री संघ की पृष्ठभूमि से आते थे। इनमे कई प्रचारक भी शामिल होते थे। इसके बाद इनकी संख्या में कमी आती चली गई और जिलो से इनकी विदाई कर दी गई। एक संभाग में सिर्फ एक संगठन मंत्री की तैनाती की व्यवस्था लागू कर दी गई। तीन साल पहले इसमें भी कटौती शुरू हो गई और एक संगठन मंत्री के पास दो-दो संभागों का प्रभार आ गया। इसके बाद राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिया। इसकी वजह शिकायतें थीं, हालांकि प्रदेश मे भाजपा ने हटाए गए सभी संभागीय संगठन मंत्रियों को निगम मंडलों में अध्यक्ष की ताजपोशी से नवाजा था। डॉक्टर मोहन यादव सरकार में इन्हें पद से मुक्त कर दिया गया है।
अब संघ पैटर्न पर बनेगी व्यवस्था
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भाजपा की रीढ़ कहा जाता है। आज भाजपा संगठन जिस मजबूती से खड़ा और बढ़ा है उसके पीछे संघ की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए एक बार फिर से भाजपा में बंद हुई संभागीय संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की परंपरा एक बार फिर से शुरू करने पर उच्चस्तर पर विचार शुरू हो गया है पर इस बार व्यवस्था को बदलाव के साथ लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इसका खाका तैयार कर रहा है। लोकसभा चुनाव निपटने के बाद भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकर इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। भाजपा को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा के रूप में माना जाता है। संघ की तर्ज पर यह पार्टी कैडरबैस है और संगठन सर्वोच्च की तर्ज पर चलती है। भाजपा संगठन पर पूरी तरह नियंत्रण आरएसएस का होता है। पार्टी में पूरे देश में परम्परा है कि संगठन महामंत्री चाहे राष्ट्रीय स्तर पर हो या प्रदेश स्तर पर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से आता है और यह पद बेहद असरदार माना जाता है। पार्टी के कार्यक्रम जिलों में बेहतर तरीके से चलें, जनप्रतिनिधि अपने काम को ठीक तरीके से करें। इसके लिए पूर्व में हर संभाग में संगठन मंत्रियों की व्यवस्था होती थी।
दो साल बार फिर से तैनाती पर विचार
गौरतलब है कि दो साल पहले पार्टी ने एक झटके से पूरे देश में संभागीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। प्रदेश में संघ से भाजपा में आए इन संभागीय संगठन मंत्रियों को प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बना दिया गया था। दो साल बाद अब फिर से संघ संगठन मंत्रियों की तैनाती पर विचार कर रहा है। संघ का मानना है कि पार्टी का पिछले कुछ सालों में बेहतर विस्तार हुआ है और अन्य विचारधारा के लोग भी भाजपा विचार परिवार से जुड़े हैं। यह संगठन मंत्री संघ की संरचना के आधार पर ही तैनात किए जाएंगे। आरएसएस ने मप्र को मुख्यतया तीन प्रांतों में बांटा है। इनमें महाकौशल, मालवा और मध्यभारत शामिल है। मध्यभारत में राजधानी भोपाल से लेकर ग्वालियर, चंबल तक का इलाका आता है। विचार इस बात पर चल रहा है कि प्रदेश संगठन महामंत्री के इतर तीनो प्रांतों में संगठन मंत्रियों की तैनाती की जाए। यह तीनों संगठन मंत्री प्रदेश संगठन महामंत्री के अधीन काम करेंगे। गौरतलब है कि संघ ने विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की तैनाती की थी।। अजय जामवाल क्षेत्रीय संगठन महामंत्री हैं। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में संगठन को मजबूत करने के काम में लगे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को भी मुख्य रूप से दोनों प्रदेशों का काम दिया हुआ है। इन दोनों संगठन महामंत्रियों की सक्रियता का लाभ पार्टी को विधानसभा चुनाव में मिला था। दोनों संगठन महामंत्रियों ने पूरे प्रदेश में दौरे कर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया था।