चुनावी आचार संहिता के दौरान केंद्र सरकार की सूर्योदय योजना को कुछ सोलर कंपनियां फ्लाॅप करने में जुट गई है। सोलर पैनलों की कमी का हवाला देकर उनके दाम प्रति वाट दो से तीन रुपये बढ़ा दिए गए है, जबकि पैनलों की कमी नहीं है। शहर में उसकी कालाबाजारी शुरू हो गई है। इससे आवासीय लगने वाली सोलर यूनिय में आठ से दस हजार रुपये तक का इजाफा हुअा है।
देश में सोलर प्लांट लगाने के लिए लोग प्रेरित हो, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को सूर्योदय योजना लांच की थी। देश के एक करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने पर 18 हजार रुपये से लेकर 78 हजार रुपये की सबसिडी इस योजना के तहत दी जा रही है।
सबसिडी के लिए जो कंपनियां अधिकृत है, उन्होंने पैनलों की कालाबाजारी शुरू कर दी है। इंदौर मेें 70 से ज्यादा वेंडरों सोलर यूनिट लगाने का काम करते है, लेकिन अभी उन्हें जो आर्डर मिले है, उसे पूरा नहीं कर पा रहे है। सोलर कारोबार से जुड़े हिमांशु जामले ने बताया कि सबसिडी वाली पैनलों की मार्केट में कालाबाजारी शुरू हो गई है। जो पैनल 20 से 22 रुपये प्रति वाॅट पहले मिलती थी। उसे अब 24 रुपये तक में कंपनियां दे रही है।
इस कारण उपभोक्ता को पहले से ज्यादा राशि चुकाना पड़ रही है। इसके चलते कई आर्डर कैंसल हो चुके है, जबकि पैैनलों का कोई संकट नहीं है। मार्केट में योजना के कारण डिमांड बढ़ने के बाद कंपनियों ने लामबंद होकर कालाबाजारी शुरू कर दी है। इंदौर में अभी 40 हजार से ज्यादा घरों में सोलर पैैनलों से बिजली पैदा हो रही है। नगर निगम ने भी इसके लिए अभियान चलाया है, हालांकि पैनलों के संकट के कारण वेंडरों ने भी कदम पीछे हटा लिए है।