अब तो उम्मीद भी खोने लगा हूं, फुटपाथ ही बन गया है घर

भोपाल शहर के एक मजदूर की बदहाली पर भी आयोग ने संज्ञान लिया है। मजदूरी करने वाले रंजीत सिंह का कहना है कि हम पहले हबीबगंज के पास झुग्गी में रहते थे। वहां से झुग्गियां तोडकर हमें दूसरी जगह प्लाॅट मकान देने की बात की गई। इसमें सभी लोगों को सरकार की तरफ से जगह मिली पर मुझे आज तक कुछ नहीं मिला। काम धंधा और किराये का मकान कोरोना कफ्र्यू की वजह से छूट गया। फिलहाल न्यू मार्केट में फुटपाथ में रहना पड रहा है। उसने बताया कि मैं बीस साल से नगर निगम और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहा हूं। मगर कुछ भी हाथ नहीं लगा। अब तो मैंने उम्मीद भी खो दी है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं आयुक्त, नगर निगम, भोपाल से जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन अगले 15 दिवस में मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी कहा है कि पीडित मजदूर रंजीतसिंह के आवास हेतु अस्थाई वैकल्पिक व्यवस्था की संभावना को भी ध्यान में रखते हुये कार्यवाही करें, इसके पश्चात ही तथ्यात्मक प्रतिवेदन भेजा जाये।