मुंबई। रिजर्व बैंक मंगलवार को भुगतान एग्रीगेटर्स पर नियमों को और मजबूत करने के लिए गाइडलाइन का मसौदा लेकर आया, जिसका उद्देश्य भुगतान इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है। इस ड्राफ्ट में भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) की भौतिक बिक्री बिंदु गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।
आरबीआई ने कहा कि डिजिटल लेनदेन में वृद्धि और इस क्षेत्र में पीए की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, पीए पर मौजूदा निर्देशों को अपडेट करने और अन्य बातों के साथ-साथ केवाईसी और व्यापारियों के उचित परिश्रम, एस्क्रो खातों में संचालन को कवर करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है।
ड्राफ्ट में क्या कहा गया?
भारत में भुगतान इकोसिस्टम में ऑनलाइन पीए और पीए शामिल हैं, जो आमने-सामने/निकटता भुगतान लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि केवाईसी और उचित परिश्रम पर भुगतान एग्रीगेटर्स को अपने नो योर कस्टमर् (एमडी-केवाईसी), 2016 पर मास्टर गाइडलाइन में निर्धारित ग्राहक उचित परिश्रम (CDD) के अनुसार उनके द्वारा शामिल व्यापारियों का उचित परिश्रम करना चाहिए।
आरबीआई ने जिस ड्राफ्ट पर 31 मई, 2024 तक टिप्पणियां की हैं, उसमें कहा गया है कि पीए यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा शामिल किए गए मार्केटप्लेस उनके प्लेटफॉर्म के माध्यम से पेश नहीं की जाने वाली सेवाओं के लिए धन एकत्र न करें और निपटान न करें।
होंगे ये बड़े बदलाव
ड्राफ्ट फाइल (COF) डेटा में पता चला है कि 1 अगस्त, 2025 से कार्ड का उपयोग करके किए गए आमने-सामने/निकटता भुगतान लेनदेन के लिए, कार्ड जारीकर्ताओं और/या कार्ड नेटवर्क के अलावा कार्ड लेनदेन/पेमेंट सीरीज में कोई भी यूनिट कार्ड-ऑन को स्टोर नहीं करेगी।
मसौदे में कहा गया है कि पहले से संग्रहीत ऐसे किसी भी डेटा को मिटा दिया जाएगा।
मसौदे में आगे कहा गया है कि पीए-पी सेवाएं देने वाले नॉन-बैंकों के पास प्राधिकरण के लिए आरबीआई को आवेदन जमा करते समय न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2028 तक न्यूनतम नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये होनी चाहिए। उसके बाद हर समय 25 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति बरकरार रखी जाएगी।