राजगढ़ । प्रदेश की राजगढ़ सीट से 33 साल बाद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह ने मत पत्र (बैलट पेपर) से चुनाव लड़ने का फॉर्मूला बनाया है। इस फॉर्मूले में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल फेल हो गए हैं। अब दिग्विजय सिंह के पाले में गेंद है। दिग्विजय ने तर्क दिया है कि एक सीट पर यदि 384 प्रत्याशी नामांकन करेंगे तो चुनाव आयोग बैलट पेपर से चुनाव कराएगा। इसको लेकर उन्होंने अलग-अलग सभाओं में कहा कि उनका प्रयास है कि मतदान बैलट पेपर के माध्यम से हों, इसके लिए वे 400 लोगों के नामांकन दाखिल कराने में लगे हुए हैं। ऐसे में अब 19 अप्रैल को साफ हो जाएगा कि दिग्विजय सिंह का बैलट पेपर से चुनाव कराने का फॉर्मूला सफल हो पाता है या नहीं।
यह है सबसे बड़ी चुनौती
लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के प्रत्याशी की जमानत राशि 25 हजार रुपये है। आरक्षित वर्ग के लिए यह राशि 12,500 रुपये है। ऐसे में एक सीट पर 384 से ज्यादा नामांकन के लिए करीब एक करोड़ रुपये की राशि जमा करना होगी। वहीं, नियम है ऐसे प्रत्याशी जो निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए वैध मतों के 1/6 यानी छठे भाग से अधिक वोट पाने में असफल होते हैं तो उनकी जमानत राशि जब्त हो जाती है। उनको राशि वापस नहीं मिलती है।
पहले दिन दो अभ्यर्थियों ने लिए तीन नामांकन पत्र
राजगढ़ में तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा। इस सीट पर शुक्रवार से नामांकन की अधिसूचना जारी कर दी गई। पहले दिन राजगढ़ सीट पर दो लोगों ने सिर्फ तीन नामांकन पत्र खरीदे। अब दो दिन छुट्टी के बाद सोमवार से फिर से नामांकन पत्र जमा होंगे। यहां 19 अप्रैल नामांकन जमा करने की अंतिम तारीख है।
23 पर्चे दाखिल हुए थे राजनांदगांव से
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी 384 नामांकन भरने दाखिल होने पर बैलट पेपर से चुनाव का फॉर्मूला दिया था। यहां पर करीब 244 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन पत्र लिए थे, लेकिन सैकड़ों लोग अपना नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने से दूर रहे। इस सीट पर सिर्फ 23 अभ्यर्थियों ने नामांकन दाखिल किए। इनमें से चार नामांकन निरस्त कर दिए गए और चार ने अपने नामांकन वापस ले लिए। इसके बाद अब मैदान में सिर्फ 15 प्रत्याशी ही हैं।