बिलासपुर । छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर को भले ही स्मार्ट सिटी के तमगे से नवाज दिया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। निगम का सफाई अमला लाख दावे कर ले पर इनके सारे दावे फैली गंदगी के सामने खोखले साबित हो रहे है। निगम ने स्मार्ट सिटी के अनुरूप अपना विस्तार कर निगम के दायरे को बढ़ा लिया है।जिसके कारण अलग अलग जोन में इस शहर को बांट कर व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित कर क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करके आम जनमानस को उनकी जरूरत की बुनियादी सुविधा को सरलता से उपलब्ध करा सके। लेकिन बुनियादी सुविधाएं में सबसे महत्वपूर्ण बात जो है वह सफाई। सफाई के नाम पर लाखो रुपए खर्च किए जा रहे है,पर खर्च कहा पर हो रहा है,यह सफाई अमला के लिए एक प्रश्नवाचक चिन्ह है। हम बात कर रहे जोन क्रमांक पांच की जो शहर के मध्य में है। जिस वार्ड में निगम का जोन कार्यालय।उस वार्ड की हम बात करे तो यह वार्ड कोई आम वार्ड नही है। यह वार्ड अपने आप में एक अलग विशेषता के साथ जाना और पहचाना जाता है। इस वार्ड ने समय समय पर शहर को कई महापौर दिए है।आज उसी वार्ड की ये दुर्दसा की जगह जगह कचरे का ढेर,बजबजाती नालिया,सडक़ो से उड़ती धूल,खराब सडक़े,वार्ड के कई कई इलाकों में आज भी गंदा पानी लोगो के घरों में आ रहा है।शाम होते ही मच्छरों का बढ़ता प्रकोप ना जाने और कितनी बुनायादी सुविधा का हवाला दे।नगर निगम के अंर्तगत वार्ड क्रमांक तीस पंडित मुन्नूलाल शुक्ल के नाम से इस वार्ड को जाना जाता है।यह वार्ड तीन वार्ड के साथ मिलकर बना है।इस वार्ड से सबसे पहले बिलासपुर शहर के प्रथम महापौर से लेकर तीन और महापौर बनाए गए।वही इस वार्ड से शहर और प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले नेता भी निकले है वह चाहे राजनीतिक पार्टी भाजपा हो या कांग्रेस।लेकिन इसके बावजूद भी इस वार्ड की विडंबना देखो की एक से एक महान शख्सियत से इस वार्ड का नाता है। उसके बाद भी बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहा है।अब देखना यह होगा की इस खबर के बाद निगम का सफाई अमला और निगम के आला अधिकारी यहां की फैली अवस्था को दूर करने के लिए क्या कदम उठाते है।
पूर्व मेयरों की वार्ड में गंदगी का अंबार, सुध लेना वाला कोई नहीं, सफाई अमला बेसुध
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