बेटी का शव खाट पर रखकर पिता द्वारा 20 किमी पैदल चलने का मामला

सिंगरौली जिले के गड़ई गांव में रहने वाले धीरपति सिंह गौड़ की 16 साल की बेटी ने 6 मई को किसी वजह से आत्महत्या कर ली थी। सूचना पर निवास पुलिस मौके पर पहुंची। शव का पंचनामा किया और घरवालों को कह दिया कि शव का पोस्टमार्टम करना है, उसे निवास मर्चुरी ले आओ। धीरपति ने हिम्मत नहीं हारी और बेटी के शव को खटिया पर बांधा और रिश्तेदारों की मदद से उसे कंधे पर रखकर 7 घंटे में 20 किमी की दूरी तय कर निवास मर्चुरी ले आया। यहां पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ट्रेक्टर की व्यवस्था की और शव गांव भेज दिया। लेकिन यह काम पुलिस पहले भी कर सकती थी। जब निवास चौकी प्रभारी से इसपर सवाल पूछे गये, तो उन्होंने कहा कि गड़ई गांव का टोला गौरापानी जंगली पहाड़ों में है। वाहन केवल गड़ई गांव तक ही जाते हैं। यहां की परंपरा रही है कि पोस्टमार्टम के लिये शव घरवाले ही लाते हैं। हमारे पास शव लाने, ले जाने के लिये वाहन नहीं है। इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, सिंगरौली से 17 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने पुलिस अधीक्षक से यह भी पूछा है कि शव का पोस्टमार्टम कराने की जिम्मेदारी पुलिस की है या परिवारजनों की ? पोस्टमार्टम के लिये शव ले जाने हेतु पुलिस ने वाहन आदि की व्यवस्था क्यों नहीं की ?