भोपाल। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री निजी स्‍कूलों की मनमानी रोकरे प्रशासन को सख्‍त कार्रवाई के निर्देश दिए है। मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने एक्‍स पर पोस्‍ट जारी करते हुए कहा कि मेरी जानकारी में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब निजी स्‍कूल संचालक बच्‍चों के अभिभावकों को किताबें, यूनिफार्म और अन्‍य शिक्षण सामग्री किसी एक दुकान से खरीदने का दबाव बनाते हैं और उन्‍हें बाध्‍य करते हैं कि संबंधित दुकान की किताबें ही स्‍कूल में चलेंगी। जो कि नियमों के खिलाफ है। यदि कोई स्‍कूल संचालक या स्‍टॉफ इस तरह का दबाव अभिभावकों पर बनाते हुए पाया गया। या अभिभावक द्वारा शिकायत की गई तो प्रशासन कठोर कार्रवाई करेगा। मुख्‍यंत्री ने कहा कि ऐसे स्‍कूल संचालकों पर जो कापी-किताब खरीदने को बाध्य करने वालों पर 2 लाख जुर्माना लागया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभगा ने सभी जिलों के कलेक्टर को आदेश जारी कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिला कलेक्टरों को नियमावली से अवगत कराते हुए शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक किसी भी दुकान से कापी-किताब, यूनिफार्म व अन्य शैक्षिणक सामग्री खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा दबाव बनाना अपराध है। शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि ऐसे कई मामले सामने आई हैं जब अभिभावक स्‍कूल संचालकों की मनमानी से परेशान हैं। वर्तमान में ना केवल स्‍कूल संचालकों द्वारा किताब-कापियों की लिस्‍ट थमाई जाती है, बल्कि बताया जाता है कि फला दुकान की किताबें ही स्‍कूल में चलेंगी। क्‍योंकि दुकानदार मोटा कमिशन बदले में स्‍कूल संचालकों को देता है। यही बात यूनिफॉर्म में भी लागू होती है।

चीफ सेक्रेटरी को दिया निर्देश

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अभिभावकों पर दबाव बनाने वाले स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चीफ सेक्रेटरी को निर्देशित किया है। बताया कि पहली बार शिकायत मिलने पर स्कूल संचालक के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनिमियन) नियम 2020 के तहत 2 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार को चाहिए कि मिशनरी स्‍कूलों में सिर्फ एनसीआरटीई की बुक पढाई जाय, इससे पूरी तरह से कमिशन खोरी में बैन लग जाएगा। अभि स्‍कूल संचालक पांच बुक तो एनसीआरटीई की पढाते हैं, साथ में दो बुक अपनी इच्‍छाअनुसार बच्‍चों पर थोप देते हैं। जिससे अभिभावक स्‍कूल संचालकों की पंसद की दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर हो रहा है। सरकार को चाहिए कि ऐसे स्‍कूल संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई करे तो आवश्‍यकता से अधिक बुकों का बोझ बच्‍चों पर डाल रहे