फिलीपींस के साथ चल रहे समुद्री सीमा विवाद को लेकर चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने भारत से दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रमुभता के दावों का सम्मान करने की अपील भी की है।
तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं- लिन जियान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच का मुद्दा है और कोई भी तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है। हम संबंधित पक्ष से दक्षिण चीन सागर के मुद्दों के तथ्यों का सामना करने, चीन की संप्रभुता और समुद्री हितों और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय देशों द्वारा किए गए प्रयासों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान विदेश मंत्री एस जयशंकर की उस टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत फिलीपींस की संप्रभुता का समर्थन करता है। जयशंकर इस समय आधिकारिक यात्रा पर मनीला में हैं और इस दौरान उन्होंने फिलीपींस के विदेश सचिव एनरिक मनालो से बातचीत की।
भारत फिलीपींस का दृढ़ता से समर्थन करता है- जयशंकर
जयशंकर ने इससे पहले मनीला में दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई देश के समुद्री विवाद के बीच कहा था कि भारत राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने में फिलीपींस का दृढ़ता से समर्थन करता है और रक्षा और सुरक्षा सहित सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करना चाहता है। गौरतलब है कि चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं।
मनालो के साथ अपने संयुक्त सम्मेलन में जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर पर चीन-फिलीपींस विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि यूएनसीएलओएस 1982 समुद्र के संविधान के संबंध में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। सभी पक्षों को इसका पालन करना चाहिए। मैं इस अवसर पर फिलीपींस की राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भारत के समर्थन को दृढ़ता से दोहराता हूं।