सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने 25 वर्षीय मणिपुरी युवती की मौत के मामले में कहा, अनसुलझे अपराध कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थापित संस्थानों में जनता के विश्वास को कम कर देते हैं। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, जाहिर तौर पर 25 साल की युवती के लिए आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं दिखता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला नहीं लगता है। अपराध स्थल पर फर्श पर खून बिखरा हुआ पाया गया। बिस्तर पर बिछी चादर खून से सनी हुई थी। यह हत्या जैसी प्रतीत होती है। इसलिए दोषियों को दोषी ठहराया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष जांच पर क्या कहा?
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, जांच की निष्पक्षता पर हम कुछ नहीं कहते। लेकिन यह तथ्य कि जांच प्रभावी नहीं रही है। मृतकों के रिश्तेदार मणिपुर में रहते हैं। उन्हें दिल्ली में अधिकारियों से संपर्क करने में वास्तविक और तार्किक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद उनकी आशा बरकरार है। उन्होंने देश की न्याय प्रणाली में भरोसा और विश्वास दिखाया है।
सीबीआई जांच क्यों जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने इसका भी जवाब दिया
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक मामले की उचित जांच और अपीलकर्ताओं के मन में किसी भी संदेह को दूर करने के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए। अदालत ने साफ किया कि वास्तविक दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए इस मामले को सीबीआई को सौंपना जरूरी है।
11 साल पहले हुई मौत के मामले में हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
हाईकोर्ट ने जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने की उसके चचेरे भाई की याचिका को खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि मृतका एएस रींगमफी का शव 29 मई, 2013 को किराए के मकान में मिला था। मकान मालिक ने सुबह 11 बजे पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के कारणों का पता नहीं लगा।