नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल 15 साल बाद फिर दोस्ती कर सकते हैं। इस तरह की खबरों के आने एक सवाल यह भी उठने लगा है कि इस दोस्ती से किसे फायदा होगा। इस बार एनडीए 400 पार का नारा दे रही भाजपा के लिए लक्ष्य के करीब आना और आसान हो जाएगा। राज्य में लोकसभा सीटों की संख्या कुल 21 है। बीते लोकसभा चुनाव में यहां बीजद ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि, 8 पर जीत के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर थी। कहा जा रहा है कि भाजपा वोट शेयर बढ़ाने की ओर भी देख रही है। ऐसे में यह साझेदारी अहम साबित हो सकती है। इसके अलावा यह दोस्ती राज्यसभा में भी भाजपा की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकती है। फिलहाल, बीजद के राज्यसभा में 9 सांसद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों दलों के बीच गठबंधन की अटकलें तब ही शुरू हो गईं थीं, जब बीजद ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की उम्मीदवारी का समर्थन दिया था।
खबरों के मुताबिक कहा जा रहा है कि पटनायक और बीजद के एक वर्ग को कुछ आपत्तियां थीं, लेकिन पांडियन ने दोनों के संबंध मजबूत करने की पहल की। रिपोर्ट में बीजद सूत्र के हवाले कहा गया, अभियान पांडियन की तरफ से चलाया गया था।कहा जा रहा है कि बीजद ओडिशा विधानसभा में अपनी ताकत बनाए रखना चाहती है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि नई सीट शेयिरिंग डील के तहत भाजपा लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ेगी। जबकि, बीजद राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 100 से ज्यादा पर मैदान में उतर सकती है।
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए में दोबारा वापसी की थी। इसे एक ओर जहां विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए झटका माना गया। वहीं, भाजपा के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला रहा, क्योंकि कुमार को ही विपक्षी एकता का सूत्रधार कहा जाता था। अब अगर पटनायक एनडीए में वापसी करते हैं, तो मजबूत क्षेत्रीय साथी पाकर भाजपा का मनोबल और बढ़ सकता है।कांग्रेस की बढ़ सकती है चिंता: साल 2014 विधानसभा में यहां कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत हासिल की। जबकि, भाजपा 10 पर थी। 2019 चुनाव में कांग्रेस घटकर 9 सीटों पर आ गई और भाजपा बढ़कर 23 सीटों पर पहुंच गई। बीते लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस महज एक ही सीट जीत सकी थी। अगर भाजपा-बीजद साथ आते हैं, तो ओडिशा की जनता के सामने मुकाबला त्रिकोणीय नहीं रह जाएगा। कहा जा रहा है कि भाजपा-बीजद सीट शेयरिंग को लेकर भी लगभग सहमति बना चुके हैं। संभावनाएं हैं कि गठबंधन का बड़ा ऐलान कभी भी हो सकता है। बुधवार को भाजपा और बीजद ने अपने नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें भी की। खबरें हैं कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने भी भाजपा नेताओं के साथ बातचीत की है।
15 साल बाद फिर बीजद और भाजपा की दोस्ती से किसे फायदा होगा
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