मेडिकल पर हो रही दवा की कालाबाजारी

इन्दौर शहर के मेडिकल इंडस्ट्री का चै तरफा बोल बाला है। जिस दवाई के दाम कम है उनपर प्रिंट प्राइज इतना अधिक है कि वकील करना मुश्किल है। पांच रूपये की लागत में तैयार गोली की कीमत पचास रूपये लिखी होती है। इसपर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इस मामले में आयोग ने औषधि नियंत्रक (ड्रग कंट्रोलर) म.प्र. शासन से दो सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।