ग्वालियर । केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके राज्यसभा निर्वाचन में गलत जानकारी देने के आरोप लगाते हुए निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। यह याचिका पूर्व नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह ने दायर की थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपनी परंपरागत गुना-शिवपुरी सीट से भाजपा से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने कमलनाथ की सरकार को गिराकर भाजपा की सदस्यता ले ली और भाजपा की सरकार बनवा दी। बदले में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया।
उनके राज्यसभा के लिए भरे गए नामांकन पत्र को चुनौती देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। 2020 में दर्ज इस याचिका में डॉ. सिंह ने आरोप लगाया था कि सिंधिया ने नामांकन के साथ जो शपथ पत्र दिया है, उसमें उनके द्वारा जानकारी छुपाई गई है। सिंधिया के विरूद्ध भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में एक आपराधिक केस दर्ज है, जिसकी जानकारी उन्होंने शपथ पत्र में नहीं दी।सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डॉ. गोविंद सिंह की याचिका को निरस्त कर दिया। फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोई एफआईआर दर्ज होना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे सुनाते हुए याचिका को रद्द कर दिया। यह सिंधिया के लिए बड़ी राहत भरी खबर है।