राजस्थान की उपमुख्यमंत्री और जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी की प्रेम कहानी काफी फिल्मी है. पहले तो किसी को उनकी प्रेम कहानी की भनक तक नहीं लगी, लेकिन 23 साल पहले जब सामने आई तो अटकलों का बाजार गर्म हो गया था. दरअसल, राजकुमारी दीया कुमारी ने राजघराने के विरोध के कारण 1994 में दिल्ली के एक कोर्ट में गुपचुप तरीके से एक सामान्य आदमी नरेंद्र सिंह राजावत से शादी कर ली थी. इसके 2 साल बाद उन्होंने मां पद्मिनी देवी को अपनी शादी के बारे में बताया. फिर जयपुर और राजस्थान ही नहीं पूरे देश में सनसनी फैल गई थी. अटकलें लगने लगीं कि उन्होंने अपने ड्राइवर या कैशियर से शादी की है.
राजकुमारी दीया कुमारी जयपुर के पूर्व महाराज सवाई भवानी सिंह और रानी पद्मिनी देवी की इकलौती संतान हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल और जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल से की थी. आगे की पढ़ाई के लिए राजकुमारी दीया कुमारी लंदन गईं . इसके बाद लौटने पर राजमहल के अकाउंट का काम देखने के दौरान उनकी मुलाकात नरेंद्र सिंह राजावत से हुई. दीया कुमारी ने अपने ब्लॉग रॉयल्टी ऑफ राजपूताना में अपनी प्रेम कहानी लिखकर सार्वजनिक की थी. उन्होंने लिखा कि मैं जयपुर राजघराने से हूं, लेकिन मैंने हर जगह अपने दोस्त बनाए हैं. मेरे पेरेंट्स ने मुझे खुले माहौल में सामान्य लड़की की तरह पाला है. मैं 18 साल की उम्र में पहली बार नरेंद्र सिंह राजावत से मिली थी.
पति को लेकर दीया कुमारी ने दी सफाई
दीया कुमारी ने ब्लॉग में साफ किया कि मेरे पति ना तो महल में कैशियर थे और ना ही ड्राइवर थे. मेरी शादी परीकथा जैसी जरूर थी, लेकिन नरेंद्र सिंह राजावत सामान्य व्यक्ति नहीं थे. मेरे पति चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. अपनी पढाई के सिलसिले में नरेंद्र सिंह ने एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट के अकाउंट सेक्शन में ज्वाइन किया था. हमारे अकाउंट डिपार्टमेंट में वह तीन महीने रहे. फिर उन्होंने अपना कंस्ट्रक्शन का बिजनेस शुरू किया था. मेरे पेरेंट्स ने उन्हें कंट्रक्शन बिजनेस शुरू करने के लिए कोई पैसा नहीं दिया था. पहली बार हम महल में मिले थे. मैं उनकी सहजता और ईमानदारी से बेहद प्रभावित हुई थी.
मां को पता चलने पर लगा तगड़ा झटका
राजसमंद से बीजेपी सांसद रहीं राजकुमारी दीया कुमारी ने ब्लॉग में लिखा कि मुझे नरेंद्र सिंह से पहली नजर में प्यार नहीं हुआ था. जब वह अकाउंट डिपार्टमेंट की ट्रेनिंग खत्म करके चले गए, तो मुझे लगा कि मैं उनसे बार-बार मिलूं. जब भी नरेंद्र जयपुर आते, तो हम कॉमन दोस्त के यहां मुलाकात करते थे. मैं पेरेंट्स के साथ विदेश गई तो उन्हें मिस करने लगी. मुझे अहसास हुआ कि हमारा रिश्ता दोस्ती से ज्यादा है. मैंने इस बारे में मॉम से बात की, तो उन्हें झटका लगा. वह चाहती थीं कि मेरी शादी किसी राजघराने में ही हो. मॉम को पता लगने के बाद हम कोशिश करते कि जयपुर के बाहर ही मिलें. फिर हम दिल्ली में एक दोस्त के घर में मुलाकात करते थे.