चेन्नई : आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरू की एक विशेष अदालत द्वारा दोषी करार दी गई तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे लड़ चुकी हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में उन्हें बरी किया जा चुका है ।

जयललिता को 21 सितंबर 2001 को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। न्यायालय ने तत्कालीन राज्यपाल एम फातिमा बीवी द्वारा की गई जयललिता की नियुक्ति इस वजह से रद्द कर दी थी क्योंकि उन्हें तानसी जमीन करार मामले में दोषी करार दिया गया था।

जयललिता को दोषी ठहराए जाने से जनप्रतिनिधित्व कानून के वे प्रावधान लागू हुए थे जिससे किसी को चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया जाता है। चेन्नई की एक अदालत द्वारा नौ अक्तूबर 2000 को तानसी जमीन करार मामले में सुनाई गई सजा की वजह से जयललिता 2001 में चुनाव नहीं लड़ सकीं । हालांकि, इस मामले में बाद में उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2003 में जयललिता को बरी करने का उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा था। चेन्नई की विशेष अदालत ने जया प्रकाशन मामले में जयललिता और उनकी सहयोगी शशिकला को तीन साल जबकि शशि एंटरप्राइजेज मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई थी। दोनों मामले तानसी जमीन करार से जुड़े थे । इसके बाद जब 2001 विधानसभा चुनाव में जयललिता ने अंदिपट्टी सहित चार विधानसभा क्षेत्रों से नामांकन दाखिल किया तो सभी को खारिज कर दिया गया। अन्नाद्रमुक ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया और वह उन 140 में से 132 सीटों पर विजयी हुई जिन पर उसने चुनाव लड़ा।

बाद में 14 मई 2001 को जब तत्कालीन राज्यपाल फातिमा बीवी ने जयललिता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया तो यह मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा और अन्नाद्रमुक नेता को पद से इस्तीफा देना पड़ा।