पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड में एक और घटाले को लेकर बड़ी कार्रवाई हुई है। पोशाक घोटाले में चर्चा में आए जिला शिक्षा अधीक्षक संतोष गुप्ता पर अब आरोप लगा है कि उन्होंने अपने चहेते लिपिक से बिना कार्य लिए 41 दिनों का वेतन भुगतान कर दिया है। कार्य नहीं लिए जाने की बात उन्होंने अपने पत्र में भी स्वीकार की है।
लिपिक सतीश कुमार सिंह ने दिए गए स्पष्टीकरण में इस बात का जिक्र किया है कि उक्त अवधि में उसने कोई काम नहीं किया है। पूरे प्रकरण को क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक सुमनलता टोप्पो बलिहार ने घोर लापरवाही बताते हुए नोटिस जारी की है। तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा है।
पूरे प्रकरण में घोर लापरवाही और विभागीय आदेश के अवहेलना के आरोप में लिपिक को आरडीडी ने निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान सतीश कुमार सिंह को चतरा जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में योगदान देने का निदेश जारी किया गया है।
रिश्वत मांगने और अनियमितता जैसे गंभीर आरोप लगे थे
दरअसल, जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में कार्यरत लिपिक सतीश कुमार सिंह पर रिश्वत मांगने और अनियमितता जैसे गंभीर आरोप लगे थे। आरोपों की जांच में यह सिद्ध हुआ और उन्हें पहली गलती का हवाला देते हुए चेतावनी देकर मामले को निष्पादित कर दिया था।
सतीश कुमार सिंह का आचरण में बदलाव नहीं हुआ और उन पर फिर आरोप लगे। आरोपों की जांच के बाद उनकी प्रतिनियुक्ति रामगढ़ कर दी गई थी। निर्धारित समय के बावजूद सतीश कुमार सिंह प्रतिनियुक्त स्थल पर नहीं गए।
जांच में पुष्टि होने के बाद आरडीडीई ने पत्राचार कर पूछा था कि प्रभार सौंपने हेतु एक समय-सीमा निर्धारित थी, फिर भी किस कारण लिपिक को रोके रखा गया। यह भी पूछा कि अगर इस दौरान इससे काम नहीं लिया गया तो फिर वेतन कैसे भुगतान हो गया है।