आयकर और जीएसटी मासिक संग्रह बढ़ने से सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय सूझबूझ पर चलते हुए भी किसानों एवं सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करने की स्थिति में रहेगी। बजट में समाज के गरीब वर्गों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है, सरकार राजकोषीय सशक्तीकरण के मार्ग से हटे बिना मनरेगा, ग्रामीण सड़क, पीएम किसान सम्मान निधि और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित कर सकती है।
बुनियादी ढांचे-महिलाओं पर ध्यान
डेलॉय इंडिया में साझेदार संजय कुमार ने कहा, सरकार के पास निश्चित राजकोषीय गुंजाइश है। अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे व महिला केंद्रित योजनाओं पर आवंटन बढ़ने की उम्मीद है। चालू वर्ष के लिए सरकार के बजट का आकार 40 लाख करोड़ रुपये था। 2024-25 में इसके 10 फीसदी बढ़कर 43-44 लाख करोड़ पहुंचने की संभावना है।
इसलिए, खर्च बढ़ाने की गुंजाइश
- चालू वित्त वर्ष में आय और कॉरपोरेट कर संग्रह में उछाल दिख रहा है।
- कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से करीब एक लाख करोड़ अधिक होने की संभावना है।
- सरकार ने चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 18.23 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट रखा है। इस मद में 10 जनवरी तक सरकार के खजाने में 14.70 लाख करोड़ रुपये आए हैं, जो बजट अनुमान का 81 फीसदी है।
- जीएसटी के मोर्चे पर केंद्रीय जीएसटी राजस्व 8.1 लाख करोड़ के बजट अनुमान से करीब 10,000 करोड़ अधिक होने की उम्मीद है।
- सकल कर राजस्व 33.6 लाख करोड़ के बजट अनुमान से 60,000 करोड़ अधिक रहेगा।
स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल घटकों पर आयात शुल्क में न हो कटौती
सरकार को आगामी बजट में स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर आयात शुल्क में कटौती नहीं करनी चाहिए क्योंकि मौजूदा शुल्क संरचना अभी तक सफल साबित हुई है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को कहा, आयात शुल्क में कटौती से स्थानीय विनिर्माण को नुकसान पहुंच सकता है। मौजूदा दरों को बनाए रखने से भारत के बढ़ते स्मार्टफोन बाजार में उद्योग की वृद्धि और दीर्घकालिक विकास को संतुलित करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में भारत में स्मार्टफोन के आयातित घटकों पर शुल्क 7.5 फीसदी से 10 फीसदी के बीच है।
देश में ही बनते हैं 98 फीसदी स्मार्टफोन
जीटीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का स्मार्टफोन उद्योग 2022 में 7.2 अरब डॉलर का था। यह 2023 में बढ़कर 13.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसके साथ ही, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत यह सबसे बेहतर करने वाला क्षेत्र बन गया है। भारत में बेचे जाने वाले 98 फीसदी से अधिक स्मार्टफोन स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं।