जिला अस्पताल में दो घंटे किसी ने नहीं देखा; मरीज बोला- घर ले चलो, यहां पर मेरे प्राण सुरक्षित नहीं है, रास्ते में जान चली गई
 

मध्यप्रदेश के शिवपुरी में कोरोना संदिग्ध युवक की सड़क पर तड़प-तड़प कर मौत हो गई। वह 2 घंटे तक इलाज के लिए जिला अस्पताल में भटकता रहा। लेकिन डॉक्टरों ने उसे देखा तक नहीं। दर्द से परेशान युवक अपने परिजन के साथ छिंदवाड़ा के लिए निकला। रास्ते में दर्द बड़ा तो उसे मंदिर के चबूतरे पर लिटा दिया। वहां उसकी कुछ देर बाद मौत हो गई। एक दिन पहले इसी अस्पताल में कोरोना संक्रमित शिक्षक का ऑक्सीजन मशीन वार्ड बॉय ने हटा दिया था, जिससे मरीज की तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी।

छिंदवाड़ा निवासी मंजय भारती को एक दिन पहले बुधवार को उसका सैंपल लिया गया था। उसकी हालत उस समय भी खराब थी, लेकिन जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे घर भेज दिया। गुरुवार सुबह उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे दोबारा जिला अस्पताल ले आए। दो घंटे वह इलाज के लिए भटकते रहे। इलाज नहीं मिला तो युवक ने अपने भाभी से अपने गृह जिले छिंदवाड़ा चलने के लिए कहा।

भाभी उसे कार से लेकर छिंदवाड़ा के लिए निकलीं, लेकिन शिवपुरी शहर के चिंताहरण मंदिर के पास उसकी हालत बिगड़ गई। कार रोक कर परिजनों ने उसे तख्त पर रख दिया। उसकी भाभी अपने पल्लू से उसकी हवा करती रही। इसी दौरान उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई। सूचना के दो घंटे बाद पुलिस और स्वास्थ्य कर्मी पहुंचे और डेड बॉडी को पीएम कराने ले गए।

भाभी ने बयां किया दर्द

देवर मंजय भारती को मंगलवार को सीने में दर्द होने पर वह एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। यहां उन्हें इलाज के बाद थोड़ा आराम मिल गया। डॉक्टरों ने कोविड जांच कराने के लिए कहा था। बुधवार को मंजय भारती को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। उस समय उसकी हालत खराब थी। सैंपल लेने के बाद उसे घर भेज दिया था। लेकिन आज सुबह अचानक मंजय भारती को घबराहट होने लगी और सांस लेने में भी तकलीफ थी। इस कारण वह सुबह जिला अस्पताल पहुंचे। जहां दो घंटे एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक उसने अपने देवर के इलाज के लिए गुहार लगाई। लेकिन डॉक्टरों की संवेदना इनती शून्य हो गई थी कि उन्हें मरीज का दुख दिखाई नहीं दिया। हारकर देवर ने उससे कहा कि उसके प्राण अब इस अस्पताल में सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए वह उसे जल्द से जल्द अपने घर छिंदवाड़ा ले चलें। देवर के अंतिम शब्द सुनकर मेरा कलेजा पसीज गया।

शिवपुरी जिले के करैरा में तैनात पटवारी मिशल भारती ने जैसा बताया (मृतक की भाभी)

 

आरोप गलत है, भीड़ भी नहीं थी

परिजनों के आरोप गलत हैं। दो दिन का अवकाश होने के बाद भी अस्पताल में इमरजेंसी और ओपीडी चालू हैं। अस्पताल में इतनी भीड़ भी नहीं है कि डॉक्टर देखने से मना कर दें। परिजन अगर इस मामले में शिकायत करते हैं तो इस मामले को दिखवा लेंगे।

डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सिविल सर्जन शिवपुरी