जबलपुर में राकेश सिंह के फोटो वाले पर्चे के साथ बंटवाए रेमडेसिविर, बैनर भी लगाए; कांग्रेस ने बताया नाकामी छुपाने का हथकंडा

इंजेक्शन वितरण का श्रेय।
मेडिकल में 3220 तो विक्टोरिया अस्पताल में 553 रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचे
गरीब मरीजों के लिए 4600 इंजेक्शन सांसद निधि से बांटे जा चुके हैं

मध्यप्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी अभी खत्म नहीं हुई है। इस बीच जबलपुर के भाजपा सांसद राकेश सिंह के समर्थक यह इंजेक्शन उपलब्ध कराते हुए अपना चेहरा चमकाने में जुटे हैं। जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने 10 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन वितरित करने की घोषणा की है। 4600 इंजेक्शन बांटे जा चुके हैं। अब 1200 इंजेक्शन उनके फोटो वाले पैम्प्लेट के साथ बांटे जा रहे हैं। श्रेय लेने के लिए कुछ स्थानों पर बैनर भी लगवाए गए हैं।

जानकारी के अनुसार सांसद राकेश सिंह ने कोरोना वायरस से बढ़ते संक्रमण में प्रभावी रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने का निर्णय पिछले दिनों लिया था। सांसद निधि से 10 हजार इंजेक्शन रेडक्राॅस के माध्यम से खरीदने के लिए राशि आवंटित की गई। सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे करीब 4600 इंजेक्शन ऐसे गरीब मरीजों को लग चुके हैं। अभी देश भर में कोरोना के बढ़ते मरीजों और इंजेक्शन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने की वजह से 1200 नए इंजेक्शन ही खरीद पाए। सांसद द्वारा खरीदवाए गए इंजेक्शन को शासकीय अस्पतालों में उनके फोटो पैम्प्लेट के साथ बांटा जा रहा है।


सांसद के इस प्रयास पर राजनीति शुरू

सांसद निधि से वितरित कराए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस का आरोप है, आपदा को अवसर बना लेने में बीजेपी नेताओं का मुकाबला नहीं है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश यादव के मुताबिक बीजेपी नेता कोरोना इलाज में सरकार की नाकामियों को छिपाने इस तरह के श्रेय लेने वाले हथकंडे अपना रहे हैं। इंजेक्शन की कालाबाजारी तो रुकवा नहीं पा रहे हैं।

विधायकों ने भी इंजेक्शन खरीदने की अनुमति देने की मांग की

सांसद के बाद अब कांग्रेस विधायक विनायक सक्सेना, तरुण भनोत, बीजेपी के विधायक अजय विश्नोई और सुशील तिवारी ने भी इंजेक्शन खरीदने की अनुमति मांगी है। विधायक विनय सक्सेना ने तो सहकारिता मंत्री डॉक्टर अरविंद भदौरिया के सामने ही दावा किया कि उनकी दिल्ली की एक कंपनी से बात हो गई है। वह 10 हजार इंजेक्शन खरीद सकते हैं। बस, इसकी अनुमति मिल जाए।

शहर में इंजेक्शन पहुंचा

उधर, जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की तात्कालिक किल्लत दूर हो गई है। मंगलवार को मेडिकल काॅलेज को 3220 इंजेक्शन और विक्टोरिया जिला अस्पताल को 553 इंजेक्शन मिले हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से कोरोना संक्रमितों का इलाज प्रभावित हो रहा था। दवा मार्केट में कमी के चलते इसकी कालाबाजारी हो रही थी। एक इंजेक्शन 18 हजार में बेचने के मामले में मालवीय चौक स्थित न्यू मुनीष मेडिकोज दुकान सील हो चुकी है। हालांकि संचालक पर कार्रवाई न होने से ड्रग विभाग निशाने पर है।

ड्रग इंस्पेक्टर से छीना आवंटन

जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी और इसे रोक पाने में विफल ड्रग इंस्पेक्टर से इसके आवंटन का अधिकार छीन लिया है। जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम व बचाव के लिए नियुक्त किए गए सहकारिता मंत्री डॉक्टर अरविंद सिंह भदौरिया से नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर ने भी ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका को लेकर शिकायत की थी। अब नई व्यवस्था में इंजेक्शन की हर डोज का हिसाब रखा जाएगा। इसके लिए अस्पतालों को गूगल शीट भेजी गई है। रोज इसमें इंजेक्शन की आवक-जावक और खपत का हिसाब देना होगा। इसकी निगरानी के लिए अधिकारियों की टीम बनाकर ड्यूटी लगाई गई है।