नई दिल्ली । एक बार फिर संजू सैमसन ने साबित किया कि क्यों उनकी गिनती मौजूदा दौर के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर्स में होती है। नए सीजन में राजस्थान रॉयल्स ने नई जिम्मेदारी दी। केरल के इस 26 वर्षीय लड़ाके ने कप्तान के दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया और योद्धा की तरह अंत तक मैदान पर डटे रहे। गेंदबाजों की जमकर धुनाई की, लेकिन पंजाब किंग्स के खिलाफ अपनी टीम को जीत दिलाने से चार रन दूर रह गए। मैच के बाद वह निराश जरूर नजर आए, लेकिन चेहरे पर मुस्कुराहट से इस गम को दबाते भी रहे। पसीने से लथपथ देह के साथ कहा कि इस अहसास को बयां करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है। वह हर हाल में अपनी टीम को जीत दिलाना चाहते थे, पांचवीं गेंद पर सिंगल न लेकर स्ट्राइक भी अपने पास रखा, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि आखिरी बॉल पर जीत के लिए जरूरी छह रन वह बना लेंगे। आखिरी गेंद पर बाउंड्री के नजदीक दीपक हुड्डा ने सैमसन का कैच पकड़ा। उन्होंने कहा, 'मुझे लगा था कि मैंने छक्के के लिए गेंद को अच्छी तरह मारा है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे नहीं लगता कि मैं इससे बेहतर कुछ कर सकता था।' दोनों टीमों ने इस मुकाबले में काफी कैच टपकाए जिस पर सैमसन ने कहा, 'कई कैच छूट जाते हैं और अच्छे कैच पकड़े भी जाते हैं। यह खेल का हिस्सा है।' संजू सैमसन के शतक के बावजूद राजस्थान रॉयल्स को हार का मुंह देखना पड़ा। आईपीएल कप्तानी पदार्पण में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने संजू सैमसन (119 रन, 63 गेंद, 12 चौके, सात छक्के) के ताबड़तोड़ शतक के बावजूद सात विकेट पर 217 रन ही बना सकी। इससे पहले पंजाब किंग्स ने कप्तान लोकेश राहुल के 50 गेंद में पांच छक्कों और सात चौकों की मदद से 91 रन और दीपक हुड्डा (28 गेंद में 64 रन, छह छक्के, चार चौके) के साथ उनकी तीसरे विकेट के लिए 105 रन की तेजतर्रार साझेदारी की बदौलत छह विकेट पर 221 रन बनाए थे।