मध्य पूर्व में स्थिरता के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान पहुंचे। उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री होसैन आमिर-अबदोल्ललाहियान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की, जिसमें चाहाबार पोर्ट का मुद्दा भी शामिल था।

पिछले कुछ सालों से चीन और ईरान के रिश्ते बेहतर बनते जा रहे हैं। वहीं, कुछ दिनों पहले एस जयशंकर ने महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की। इस कार्यक्रम में एक 9वीं कक्षा के छात्र (भार्गव देशपांडे) ने विदेश मंत्री से भारत-चीन के संबंध पर एक सवाल पूछा।

चीन के साथ बिगड़े रिश्ते पर क्या बोले विदेश मंत्री

छात्र ने सवाल किया, क्या दोनों देश रिश्तों और बिगाड़ने वाले हैं? यह सवाल सुनकर विदेश मंत्री पहले मुस्कुराए। उसके बाद उन्होंने कहा, पिछले कुछ सालों से दोनों देशों के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। इसकी वजह यह है कि दोनों देशों के बीच कुछ लिखित समझौते थे कि दोनों देशों की सेना एक-दूसरे के बार्डर दाखिल नहीं होगी। वही, बॉर्डर के करीब के सीमित तादाद में सेनाओं की मूवमेंट होगी, लेकिन साल 2020 में चीन ने इस समझौता का उल्लंघन किया।

चीन ने बड़ी तादाद में अपनी सेना एलएसी पर भेजी: एस जयशंकर

एस जयशंकर ने आगे कहा, साल 2020 में एलएसी में चीन ने बड़ी तादाद में अपनी सेना भेजी। उसके बाद गलवान में घटना घटी। कोविड के दौरान, जब देश में लॉकडाउन था तो उस समय भी मोदी सरकार ने बड़ी तादाद में बॉर्डर पर सेना की तैनाती की गई। तभी से दोनों देशों की सेना बॉर्डर पर हैं। अगर हमारी सीमा में चीनी सेना दाखिल होते हैं तो हम बचाव करेंगे।

विदेश मंत्री बोले- दोनों देशों के बीच डिप्लोमेसी जारी है

विदेश मंत्री ने आगे कहा, जब तक आप बार्डर पर शांति कायम नहीं करेंगे और आमने-सामने सेना खड़ी रहेगी तो आप यह नहीं सोच सकते कि ऐसे हालात में बाकी रिश्ते बेहतर बन सकते हैं। यहां झगड़ा करो वहां बिजनेस करो। आगे देखना होगा डिप्लोमेसी जारी है।