कैंसर रोगी ने घर में जिस कील पर दवाई का टाइम टेबल टांगा, उसी पर फंदा बनाकर दी जान; बेटा बोला- मदद मांगने पर मंत्री के गार्ड भगा देते थे जिससे आहत थे
मृतक बलराम शाक्य, जो बीमारी के साथ-साथ ऊर्जा मंत्री के न मिलने से हताश था
बेटे ने लगाया मंत्री पर जनता के हितैषी बनने का नाटक करने का आरोप, मंत्री के पीए ने आरोप नकारा
ग्वालियर में एक कैंसर पीड़ित ने फांसी लगा कर जान दे दी। उसने कुछ दिन पहले ही दीवार पर दवाईयों के टाइमटेबल को टांगने के लिए मोटी कील ठोंकी थी। उसी कील पर फंदा लगाकर झूल गया। बेटे का आरोप है कि पिता इलाज में मदद मांगने के लिए बीते एक महीने से ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह के घर और बंगले के चक्कर काट रहा थे लेकिन गार्ड उन्हें दुत्कार कर भगा देते थे। वह बीमारी से ज्यादा इस बात से हताश थे कि मंत्री पर उसके लिए 2 मिनट का समय नहीं है। गुस्साए परिजन शव लेकर ऊर्जा मंत्री के बंगले पर पहुंच गए। वहां प्रदर्शन शुरू कर दिया। शव को सड़क पर रखा हुआ है। इधर, मंत्री के पीए ने आरोप खारिज किए हैं।
घटना ग्वालियर के लवकुश नगर में रविवार रात की है। बलराम शाक्य (65) ने रविवार रात अपने कमरे में लोहे की कील से साफी का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। परिजन उन्हें चाय देने पहुंचे तो वह फंदे पर लटके हुए थे। परिजन ने बलराम को नीचे उतारा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। परिजनों ने बताया कि बलराम कैंसर से पीड़ित थे। बीमारी के कारण उनके शरीर में कीड़े पड़ने लगे थे। वह काफी समय से परेशान थे। गरीबी की वजह से अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया था। इसी से हताश होकर बलराम ने यह कदम उठाया है।
मृतक का बेटा विष्णु शाक्य ने ऊर्जा मंत्री पर जनहितैषी होने के झूठा नाटक करने का आरोप लगाया है, साथ ही उसके पीछे दीवार पर लगी वह की जिससे बलराम ने फांसी लगाई
ऊर्जा मंत्री ने किया हताश, टूट गई आस
अक्सर साइकिल पर निकलकर लोगों से रूबरू होने वाले और गरीबों की मदद के लिए हर समय तैयार रहने का दावा करने वाले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह पर इस बार गंभीर आरोप लगे हैं। बलराम के छोटे बेटे विष्णु शाक्य ने आरोप लगाया है कि एक महीने से पिता को लेकर ऊर्जा मंत्री से मिलने के लिए चक्कर लगा रहे थे। उनके घर और बंगले तक गए। कई बार सुरक्षा कर्मियों ने दुत्कार दिया। हमने सोचा था कि ऊर्जा मंत्री कुछ आर्थिक सहायता करा देंगे, जिससे इलाज में आसानी हो जाएगी। पर उनको समय नहीं था। बीमारी से ज्यादा पिता ऊर्जा मंत्री के नहीं मिलने से हताश हो चुके थे।
कुछ समय पहले ठोंकी थी दीवार में कील
कैंसर का पता चलने के बाद जब दवाइयों को खाने में भूल हो जाती थी तो बलराम ने कुछ समय पहले ही दीवार में एक कील ठोंकी थी। उसके साथ उसने दवा खाने का टाइम टेबल लगा रखा था। जब वह कील ठोंक रहे थे तो किसी को नहीं पता था कि यह कील पर ही एक दिन वह फांसी लगाकर जान दे देंगे।