साइबर अपराध की घटना को अंजाम देने के आरोप में हरला थाना पुलिस के हत्थे चढ़ा अंगवाली पेटवार निवासी देवकुमार नायक को घर वाले इंजीनियर बनाना चाहते थे। इसे बीआइटी मेसरा में आटोमोबाइल डिप्लोमा कराने के लिए परिजनों ने भेजा था।
यहां वह सफल नहीं हो सका। यहां से असफल होने के बाद वह रामगढ़ में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियां कराने का कोचिंग संस्थान खोला। इसमें भी सफल नहीं हो सका। इसी के साथ बीआइटी मेसरा में डिप्लोमा की पढ़ाई करने वाला देवघर चीतरा निवासी मिथिलेश कुमार दास भी असफल हो गया।
दोनों ने साइबर अपराध के धंधे में उतरने की योजना बनाई
दोनों ने मिलकर साइबर अपराध के धंधे में उतरने की योजना बना ली। पुलिस को अपने इकबालिया बयान में देव ने बताया है कि कि यूट्यूब से वह साइबर अपराध का गुर सिखा। यहां से वह जानकारी जुटाया कि एयरटेल पेमेंट बैंक से कैसे फ्राड किया जाता है। जानकारी जुटाकर वह लोग इस धंधे में उतर गए।
चंद्रपुरा में एक ठगी के मामले में वह जेल जा चुका है। लातेहार के भी एक मामले में वह अग्रिम जमानत पर बाहर है। उनसे बताया कि वह कुछ दिनों से हरला थाना इलाके के सेक्टर नौ ए में आवास लेकर लोगों को ठग रहे थे। यहां उसका रिश्ते का भतीजा राजू गुप्ता व भांजा दीपक भी साथ थे। इन दोनों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सोमवार को सभी आरोपितों को पुलिस ने जेल भेज दिया।
ऐसे करते थे लोगों को झांसे में लेकर पैसे की निकासी
एयरटेल पेमेंट बैंक के खाते से ही कोविड का सर्टिफिकेट डाउनलोड करने का झांसा दे रुपये की निकासी कर लेते थे। बताया कि कोविड-19 एपीके फाइल का लिंग भेजकर इसे क्लीक करने को वह लोग कहते थे। इसे क्लीक करते ही एक एप मोबाइल में डाउनलोड हो जाता था।
यह एप संबंधित मोबाइल के धारक को नहीं दिखता था। इसी के माध्यम से वह लोग उसके मोबाइल की जानकारी लेकर खाते से रुपये की निकासी करते थे। इधर हरला थाना पुलिस ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दी।
देव ने पुलिस को यह भी जानकारी दी है कि वह कोलकाता से सीम कार्ड फर्जी कागजातों पर खरीदकर लाता था। इसे यूज करने के बाद पंद्रह से बीस दिनों के अंदर ही तोड़कर नष्ट कर देता था। अपने गांव के इलाके को वह पुलिस को झांसा देने के लिए छोड़कर शहर में आकर ठिकाना बनाया था।