भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस अब परिणामों की समीक्षा मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने सभी निर्वाचित और हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। बैठक प्रारंभ हो गई है। कृषि मंत्री कमल पटेल को हराने वाले कांग्रेस विधायक रामकृष्ण दोगने ने कहा हरदा में भय और आतंक से लोगों को मुक्ति मिली है, कृषि मंत्री रहते हुए कमल पटेल ने केवल धन उगाही की है और सत्ता का दुरुपयोग किया है। कांग्रेस को इस तरह के परिणाम की उम्मीद नहीं थी। ईवीएम की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पूर्व ऊर्जा मंत्री और खिलचीपुर से प्रत्याशी प्रियव्रत सिंह ने कहा कि हमें आत्म चिंतन करने की जरूरत है कि आखिर जनता ने क्यों नकारा। हमें अपनी रणनीति और दिशा पर भी विचार करना होगा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी यह देखना होगा क्योंकि तीन माह बाद दूसरा चुनाव है। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन पर उन्होंने कहा कि हमें अपनी दिशा पर नए से विचार करना होगा। जबलपुर जिले से जीते कांग्रेस के एकमात्र नेता लखन घनघोरिया ने कहा कि प्रशासन ने चुनाव लड़ा है। कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है। हम विस्तार से समीक्षा कर रहे हैं, उसके बाद आगामी निर्णय करेंगे। पूर्व मंत्री और सिहावल से पार्टी प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल कहा कि इस चुनाव में षड्यंत्र हुआ है कर्मचारियों को उनका मत डालने नहीं दिया गया। मतदान से पूर्व किसान सम्मन निधि की राशि केंद्र सरकार ने खातों में डाली। लाडली बहना की राशि मतदान के पहले भेजी गई। कई ऐसे मतदान केंद्र रहे जहां कांग्रेस को नाम मात्र वोट ही मिले, जबकि वे परंपरागत रूप से गढ़ रहे हैं।
कालापीपल से कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल चौधरी ने कहा कि परिणाम से न केवल हमें बल्कि जनता को भी निराशा हुई है। डाक मतपत्र से जाहिर है कि हमें बड़ा समर्थन मिला है। बैठक में विधानसभा में दल के नेता के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। विंध्य से अजय सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह, चंबल से रामनिवास रावत और निमाड़ से बाला बच्चन को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। चुनाव परिणाम आने के बाद से कांग्रेस के भीतर यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रबंधन और रणनीति दोनों स्तर पर चूक हुई है। न तो चुनाव अभियान प्रभावी रूप से संचालित हुआ और न ही बड़े नेता अपने क्षेत्रों के बाहर निकले। जबकि, भाजपा के अधिकतर वरिष्ठ नेता लगातार दौरे करके कार्यकर्ताओं को न केवल प्रोत्साहित कर रहे थे, बल्कि यह संदेश देने में भी सफल हो रहे थे कि पार्टी सत्ता में बनी रहेगी। जबकि, कांग्रेस इसमें विफल रही। कार्यकर्ता और उम्मीदवार अति आत्मविश्वास में आए, जिससे नुकसान हुआ।
भाजपा के नेताओं की घेराबंदी की बात करते-करते नेता स्वयं ही घिर गए। वहीं, भितरघात ने भी बड़ा नुकसान पहुंचाया। कई सीटों पर तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने खुलकर भाजपा का काम किया। समीक्षा में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी। उधर, विधायक दल के नेता को लेकर भी निर्वाचित प्रतिनिधियों से रायशुमारी की जा सकती है। दरअसल, कमल नाथ ने पहले भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया था। उन्होंने वरिष्ठ नेता डा. गोविंद सिंह को यह दायित्व सौंपा था, लेकिन वे चुनाव हार चुके हैं। जो 66 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं, उनमें अधिकतर नए हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए विस्तृत समीक्षा आवश्यक है। माना जाता है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह, विधायक दल के सचेतक रह चुके रामनिवास रावत और आदिवासी वर्ग से आने वाले बाला बच्चन के नाम पर विचार किया जा सकता है।