काठमांडू । कहते है तोहफे की जात नहीं देखी जाती है पर नेपाल के लिए कोरोनाकाल में एर बड़ा संशय पैदा हो गया है।  वायरस संकट के बीच बहरीन के राजकुमार मोहम्‍मद हमद मोहम्‍मद अल खलीफा कोविड-19 वैक्‍सीन की 2000 डोज लेकर नेपाल पहुंचे हैं। प्रिंस मोहम्‍मद हमद का माउंट एवरेस्‍ट पर चढ़ाई करने का प्‍लान है और वह इस वैक्‍सीन को गोरखा जिले के एक गांव समागौन को दान करना चाहते हैं। इस बीच नेपाल कोरोना वैक्‍सीन को ले या नहीं, इसको लेकर उलझन में फंस गया है।
दरअसल, नेपाल को उम्‍मीद थी कि बहरीन के राजकुमार ऑक्‍सफोर्ड की कोरोना वैक्‍सीन लेकर आएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और वह चीन की साइनोफार्म कंपनी कोरोना वैक्‍सीन लेकर पहुंचे हैं। अब यह वैक्‍सीन एयरपोर्ट पर कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखी हुई है और नेपाल सरकार फैसला नहीं ले पा रही है। दरअसल, पिछली बार जब गत वर्ष सितंबर महीने में बहरीन के शाही परिवार के सदस्‍य आए थे तो उन्‍होंने वादा किया था कि ग्रामीणों को कोरोना वैक्‍सीन देंगे। इस खुशी में ग्रामीणों ने गांव में एक चोटी का नाम ही 'बहरीन पीक' रख दिया था। इस बीच जब सोमवार को बहरीन के पर्वतारोही पहुंचे तो नेपाल के औषधि प्रशासन ने जांच की तो पाया कि यह चीन की साइनोफार्म कंपनी की कोरोना वैक्‍सीन है। अब नेपाली प्रशासन इस उधेड़बुन में फंसा है कि वह चीनी वैक्‍सीन को स्‍वीकार करे या नहीं। नेपाल अपने देश में ऑक्‍सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लोगों को लगा रहा है। भारत ने नेपाल को 10 लाख कोरोना वैक्‍सीन तोहफे में दी थी। नेपाल ने अब तक 17 लाख लोगों को कोरोना वैक्‍सीन लगाई है।
नेपाल ने ऑक्‍सफर्ड की 20 लाख डोज खरीदी है लेकिन अभी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। चीन ने वादा किया था कि वह नेपाल को कोरोना वैक्‍सीन की 5 लाख डोज देगा। इसके बाद नेपाल ने चीन की साइनोफॉर्म कंपनी की वैक्‍सीन को मंजूरी दी थी। इस बीच चीन ने अभी तक कोरोना वैक्‍सीन देने पर कुछ नहीं कहा है। सेवेन समिट ट्रेक कंपनी के प्रवक्‍ता थानेश्‍वर गुरागैन ने कहा कि करीब 7 दिन तक क्‍वारंटीन रहने के बाद राजकुमार का हमद का ग्रुप गोरखा जिले के चुमनरुबी ग्रामीण नगर निगम इलाके में जाएगा।