नई दिल्‍ली/मुंबई : महाराष्‍ट्र में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध के बीच बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने सोमवार को उद्धव ठाकरे से बात की। बहरहाल, दोनों दल 25 वर्ष पुराने गठबंधन को बचाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।

जानकारी के अनुसार, शाह ने आज शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। बताया जा रहा है कि अमित शाह ने उद्धव से गठबंधन को बचाने की अपील की है। साथ ही बीजेपी अध्‍यक्ष ने उद्धव से सीट बंटवारे पर पुनर्विचार करने की भी अपील की है।

शाह ने शिवसेना प्रमुख से लचीला रुख अपनाने की अपील करते हुए  कहा कि उद्धव राज्‍य की 59 विधानसभा सीटों पर फिर से विचार करें।
ये 59 सीट शिवसेना ने कभी नहीं जीती हैं। ऐसे में शिवसेना को सीट बंटवारे पर फिर से विचार करना चाहिए। शाह ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी राज्‍य में हारने वाली 19 सीटों पर फिर से विचार करने के लिए तैयार है।

गौर हो कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे ने अपनी गठबंधन सहयोगी बीजेपी को 119 से अधिक सीटें देने से मना कर दिया जिसके बाद दोनों दलों की महायुति के भविष्य पर रविवार को भी कोई फैसला नहीं हो सका। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के नेता शिवसेना नेतृत्व के साथ बातचीत के नए दौर की उम्मीद के साथ सोमवार को मुंबई जाएंगे। अगले माह होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और शिवसेना ने अपने उम्मीदवारों का चयन लगभग कर लिया है लेकिन सूची की घोषणा नहीं की है। उन्हें गठबंधन को बचाने के लिए आखिरी प्रयास के नतीजे का इंतजार है। बीजेपी के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी राजीव प्रताप रूडी ने यहां पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद कहा कि यह तय किया गया कि सीटों के बंटवारे पर और गठबंधन बनाए रखने के लिए एक सम्मानजनक तथा परिपक्व तालमेल सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। भाजपा विधानसभा चुनाव शिवसेना और गठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ मिल कर लड़ना चाहती है। समझा जाता है कि केंद्रीय चुनाव समिति ने 180 प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा के बाद 120 उम्मीदवारों के नाम चुने हैं।

इसके बाद, बीजेपी को 119 सीटें देने की उद्धव ठाकरे की जिद के संदर्भ में रणनीति पर चर्चा के लिए भाजपा संसदीय दल की औपचारिक बैठक हुई। दोनों ही बैठकें 3 घंटे से अधिक चलीं और इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, जुआल ओराम के अलावा शाहनवाज हुसैन, संगठन मंत्री रामलाल आदि मौजूद थे। अरुण जेटली, वेंकैया नायडू किसी कारण से बैठक में हिस्सा नहीं ले सके। समझा जाता है कि शाह ने भाजपा की बैठकों के बीच उद्धव से बात की लेकिन इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया। कुछ भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि अगर शिवसेना नहीं मानती तो पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। शिवसेना की ओर से भाजपा को 119 से ज्यादा सीटें दिए जाने से उद्धव के इनकार के कुछ घंटों बाद भाजपा ने अपने गठबंधन सहयोगी से कहा कि आपसी रिश्ते को बनाए रखना दोनों दलों का कर्तव्य है और मीडिया के जरिए अपनी बात रखने के बजाय मुद्दों को सुलझाना चाहिए।

भाजपा का कहना है कि शिवसेना ‘थोड़ा त्याग’ करे क्योंकि भाजपा चुनाव जीतने और गठबंधन बचाने के लिए अतीत में ‘त्याग’ करती रही है इससे पहले, उद्धव ठाकरे की ओर से भाजपा को की गई 119 सीटों की पेशकश केंद्र में सत्ताधारी पार्टी ने ठुकरा दी थी। शिवसेना की इस पेशकश के बाद दिन में भाजपा ने कहा कि इसमें ‘कुछ भी नया नहीं’ है। भाजपा ने उम्मीद जताई कि मामले को आपस में सुलझाया जा सकता है।

वहीं, मुंबई में शिवसेना ने साफ कर दिया कि वह भाजपा को अब और कोई रियायत नहीं देगी। उसने कहा कि कुल 288 सीटों में से भाजपा को 119 से ज्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी और सीट बंटवारे पर जारी गतिरोध खत्म करने की यह ‘आखिरी कोशिश’ है। मुम्बई में भाजपा नेताओं कहा कि वे 135 सीटों की अपनी पहले की मांग से पांच सीटें कम यानी 130 सीटें भी स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह याद भी दिलाया कि पार्टी के दिवंगत सुप्रीमो बाल ठाकरे ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद उनका समर्थन किया था।

देर शाम भाजपा और शिवसेना के नेताओं ने कहा कि गठबंधन बनाए रखने की कवायद जारी है। उद्धव ने कहा कि आज मैं यह सुनिश्चित करने की आखिरी कोशिश कर रहा हूं कि ‘महायुति’ (विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन) बनी रहे। शिवसेना ने पहले 160 सीटें मांगी थी। पर अब हम नौ सीटें छोड़ने को तैयार हैं। शिवसेना 151 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और भाजपा को 119 सीटें देगी। बाकी बची 18 सीटें हमारे गठबंधन के अन्य सहयोगियों को दी जाएंगी। गतिरोध खत्म करने के तरीके सुझाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा और विधान-परिषद में विपक्ष के भाजपा नेता एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े ने कहा कि पार्टी चाहती है कि शिवसेना ऐसी सीटों पर फिर से बातचीत करे जिन पर उसने पिछले 25 सालों में कभी जीत हासिल नहीं की, ताकि आगामी चुनावों में वे सीटें थाली में परोसकर एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को न दे दी जाएं।