नई दिल्ली |  अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन ने आज अपने भारत दौरे के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। पीएम मोदी ने भारत-अमेरिका के करीबी संबंधों का स्वागत किया। इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की सोच का भी जिक्र किया जो कि द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है। उन्होंने ऑस्टिन के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अपनी शुभकामनाएं भी दी।

अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन ने भी दो देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने के प्रति अमेरिकी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए अमेरिका की मजबूत इच्छा व्यक्त की भी बात कही।

जो बाइडेन द्वारा अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद पहली बार कोई शीर्ष मंत्री भारत आया है। ऑस्टिन के आने का उद्देश्य हिंद-प्रशांत सहित क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रमकता के मद्देनजर द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करना है। ऑस्टिन की प्रथम विदेश यात्रा के दौरान तीन देशों के दौरे में भारत तीसरा पड़ाव स्थल है। उनकी इस यात्रा को (अमेरिकी राष्ट्रपति) जो बाइडन प्रशासन के अपने करीबी सहयोगियों और क्षेत्र में साझेदारों के साथ मजबूत प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है।

ऑस्टिन की पालम हवाईअड्डे पर भारत के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अमेरिकी दूतावास के राजनयिकों ने अगवानी की। उनकी यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद से पैदा हुई चुनौतियों और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है। 
     
उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) की लागत से अमेरिका से करीब 30 'मल्टी-मिशन सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है।

मध्य ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम इस ड्रोन का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स करती है। यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्य को भेद सकता है।  बताया जाता है कि करीब 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर भी वार्ता होने की संभावना है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा साजो सामान निर्माण कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की इस करार पर नजरें हैं।