रायपुर : विदेशों की अपेक्षा भारत में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इसके लिए लोगों का खान-पान, रहन-सहन और आधुनिक जीवनशैली बड़ा कारण है। खाने-पीने के चीजों में मिलावट भी हृदय रोगियों के लिए घातक है। पहले 50 वर्ष की उम्र के बाद हृदयाघात आने की आशंका रहती थी, लेकिन अब छोटी उम्र में भी अटैक आने लगा है। हार्टअटैक को दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है। यह महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नई के जानेमाने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.पी. रामचंद्रन ने बातचीत के दौरान कहा कि हार्टअटैक से सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट व पसीना आता है। लेकिन इस अटैक से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में परिवर्तन कर खतरे को कम किया जा सकता है। लोगों को नियमित व्यायाम करना चाहिए, खान-पान में हरी सब्जियों व ताजे फल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। फास्ट फूड से परहेज करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हृदयरोग बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें प्रदूषित वातावरण काफी हद तक जिम्मेदार है। घर और बाहर के वातावरण को स्वच्छ और सुंदर रखने के लिए हरियाली जरूरी है। शहरों में दिनोंदिन वाहनों की संख्या बढ़ रही है। इस कारण प्रदूषण फैल रहा है, जो हृदय रोग के लिए घातक है। इसके लिए शहरों व आसपास के क्षेत्रों को हराभरा बनाने की जरूरत है। इसके लिए जागरूकता की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मोटे लोगों में हृदयरोग होने की आशंका ज्यादा रहती है। आज हर उम्र में हृदयरोग हो रहा है। पहले 50-55 साल की उम्र में गिनेचुने लोगों को हार्टअटैक आता था, लेकिन आज यह किसी भी उम्र में आ जाता है, जो चिंता का विषय है। इसके लिए खान-पान, रहन-सहन और आधुनिक जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेदार है। इससे बचने के लिए सादा खाना यानी कम तेल व नमक वाला खाना खाने का जरूरत है। व्यायाम, योगा अवश्य करना चाहिए। सुबह-शाम घूमने की आदत डालें, खाने में हरी सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा करें।
छोटे उम्र के बच्चों के हृदय में छेद होने के सवाल पर डॉ. रामचंद्रन ने कहा कि अधिक उम्र में शादी करने वालों के बच्चों में इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं। इसलिए मां-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों की शादी समय रहते यानी 18 से 28 साल के बीच अवश्य कर देना चाहिए।
आधुनिक जीवनशैली हृदयाघात के लिए काफी हद तक जिम्मेदार
आपके विचार
पाठको की राय