डिंडौरी । कांग्रेस से टिकट मिलने के आश्वासन में प्राचार्य ने नौकरी से इस्तीफा तो दे दिया, लेकिन न तो उन्हें पार्टी से टिकट मिला और न ही अब सरकारी नौकरी बची। नेताओं पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए टोक सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में नामांकन पत्र भी ले चुके है। उनका आरोप है कि अब तक वे 60 लाख रुपये से अधिक खर्च करने के बाद टिकट न मिलने और नौकरी जाने से सड़क में आ गए हैं। गौरतलब है कि जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र से निघौरी भानपुर में संचालित शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल के प्राचार्य टोक सिंह कांग्रेस में अहम दावेदार थे। पांच सितंबर को ही उनका इस्तीफा विभाग ने मंजूर किया। टोक सिंह बताते हैं कि पार्टी के सर्वे में उनका सबसे ऊपर नाम था। उसके बाद भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
लाख से उपर मिलता थे वेतन
उन्हें एक लाख 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता था। दो साल से अधिक समय की उनकी नौकरी भी शेष थी। बडा आश्वासन मिलने के बाद भी कांग्रेस से टिकट न मिलने पर उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि पिछले दो माह में वे लगभग टिकट की आस में बीस लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि निघौरी भानपुर में कांग्रेस की जन आक्रोश रैली के साथ भुआ बिछिया में कांग्रेस के बडे कार्यक्रम और रामनगर में प्रियंका गांधी के आगमन पर पांच-पांच लाख रुपये खर्च किए थे। इसके साथ पांच लाख से अधिक की राशि भोपाल और दिल्ली आने जाने में खर्च हो गई।
पिछले दस सालों का ब्यौरा रखते हुए टोक सिंह बताते हैं कि वे टिकट की आस में 60 लाख से अधिक खर्च कर चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष से हुई मुलाकात टोक सिंह ने बताया कि वे चार बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ से भी मिल चुके हैं। उन्होंने भी आश्वासन दिया था। गौरतलब है कि यहां से कांग्रेस ने विधायक भूपेंद्र मरावी को फिर से टिकट दी है। उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
इनका कहना
कांग्रेस के बडे नेताओं ने मुझे शहपुरा विधानसभा से टिकट देने का बडा आश्वासन दिया था। उन्हीं के कहने पर मैंने प्राचार्य पद से स्तीफा भी दे दिया। न तो मुझे टिकट मिली और न ही मेरी नौकरी बची। मैं सडक पर आ गया हूं। बच्चे मेरे बाहर पढते हैं। मेरे साथ गलत हुआ है। मैं चुनाव तो जरूर लडूंगा। अब तक मैं लगभग 60 लाख रुपये इसी आस में खर्च कर चुका हूं।
टोक सिंह निर्दलीय उम्मीदवार डिंडौरी