नई दिल्ली । लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करने के मुद्दे पर,पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई। बुधवार को हुई बैठक में विधि आयोग द्वारा सुझाव कमेटी को
सोंपा गया। इस सुझाव में पहला सुझाव,सरकार गिरने के बाद लोकसभा या विधानसभा का कार्यकाल, यदि 2 साल से कम का समय बचा है। तो सर्वदलीय सरकार बनाई जानी चाहिए। इसे राष्ट्रीय सरकार अथवा प्रांतीय सरकार कहा जाएगा।
दूसरे मॉडल में कहा गया है,कि सरकार गिरने पर मध्यावति चुनाव हो, तो वह 5 साल के लिए नहीं बल्कि शेष बचे हुए कार्यकाल के लिए कराए जाने चाहिए।
विधि आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि एक साथ चुनाव कराना संविधान के बुनियादी ढांचे संघीय ढांचे या लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित नहीं करता है। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है,कि नवीन प्रक्रिया को 2029 या 2034 के लोकसभा चुनाव के समय से ही लागू किया जा सकता है। इसके लिए सरकार को कई राज्यों के कार्यकाल को बढ़ाना होगा। वहीं कुछ राज्य सरकारों का कार्यकाल घटाना भी पड़ सकता है। इसके लिए सरकार को विशेष प्रावधान करने होंगे।
आयोग ने कमेटी को सुझाव दिया है कि सर्वदलीय सरकार में लोकसभा अथवा विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सदन में जितने भी निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। उसी अनुपात में सरकार में उनका प्रतिनिधित्व हो। विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, सदस्य प्रोफेसर आनंद पालीवाल, और सदस्य सचिव केटी बिस्वाल ने 45 मिनट का प्रजेंटेशन, कमेटी के सामने रखा। इस कमेटी में अध्यक्ष के रूप में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद, गृहमंत्री अमित शाह,गुलाम नबी आजाद और सुभाष कश्यप सदस्य के रूप में मौजूद थे।
2029 के बाद ही लागू हो सकती है, एक देश एक चुनाव की परिकल्पना
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