लंदन । ब्रिटेन-स्वीडन की कंपनी एस्ट्राज़ेनेका हो या अमेरिका की फार्मा दिग्गज जॉनसन एंड जॉनसन, कुछ कंपनियों का यह दावा अब भी बरकरार है कि कोविड-19 के लड़ने के लिए वो ​वैक्सीन लाभ लिए बगैर उपलब्ध करवाएंगी, लेकिन कोरोना की वैक्सीन को लेकर अरबों का बाज़ार दांव पर है। एक तरफ मॉडर्ना जैसी कंपनी है, 11 साल के इतिहास में जिसके पास महामारी से पहले तक सिर्फ 830 लोगों का स्टाफ था, तो दूसरी तरफ 80,000 का स्टाफ रखने वाली दिग्गज फाइज़र है,​ जिसने पिछले साल 9.6 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया। फाइज़र के लिए जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने वैक्सीन विकसित की जो वैक्सीन है, बावजूद इसके कि इसे बहुत कम तापमान (-70सी) पर रखे जाने की ज़रूरत है,कई देशों ने इसे हाथों हाथ लिया। एक रिपोर्ट की मानें तो इस वैक्सीन के 78 करोड़ शॉट्स बुक किए जा चुके हैं। सिर्फ अमेरिका ने ही 3.9 अरब डॉलर में 20 करोड़ शॉट बुक किए हैं। 2021 में फाइज़र की वैक्सीन से कंपनी को 15 से 30 अरब डॉलर की बिक्री का अनुमान है। बार्कलेज़ एनालिस्ट के मुताबिक इस साल 21.5 और अगले साल 8.6 अरब डॉलर की बिक्री यह कंपनी कर सकती है। 
मॉडर्ना की वैक्सीन भी एमआरएनए तकनीक पर आधारित है, जिसका उत्पादन अमेरिका के मैसेचुसेट्स बेस्ड फर्म बायोटेक कर रही है। इस वैक्सीन के स्टोरेज के लिए -20सी का तापमान ज़रूरी बताया जा चुका है। इसे भी सबसे बड़े पैमाने पर यानी 30-30 करोड़ से ज़्यादा डोज़ अमेरिका और यूरोपीय संघ ने खरीदे हैं। अमेरिका को 30 और ईयू को 36 डॉलर प्रति वैक्सीन के हिसाब से वैक्सीन बेचने वाली मॉर्डर्ना को इस साल 18 से 20 अरब डॉलर की बिक्री की उम्मीद है। एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन एडेनोवायरस आधारित है, जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर डेवलप किया गया है। जेएंडजे की वैक्सीन की तरह यह भी सामान्य फ्रिज तापमान पर रखी जा सकती है। ईयू ने 40 करोड़, अमेरिका ने 30 करोड़ और जापान ने 12 करोड़ डोज़ बुक किए हैं। इस साल इस वैक्सीन की बिक्री 2 से 3 अरब डॉलर तक की होने के विश्लेषण एसवीबी लिवरलिंक ने पेश किए हैं। जॉनसन एंड जॉनसन की एडेनोवायरस तकनीक आधारित वैक्सीन इसलिए खास है क्योंकि यह सिंगल शॉट होगी। बेल्जियम में डेवलप की गई इस वैक्सीन को सामान्य फ्रिज तापमान में स्टोर किया जा सकता है, जिसके लिए अमेरिका, यूके के साथ ही ईयू यह वैक्सीन 40 करोड़ डोज़ तक खरीद सकता है। इस साल इस वैक्सीन की बिक्री 10 अरब डॉलर तक हो सकती है।
सीनोवाक की वैक्सीन निष्क्रिय वायरस तकनीक से बनी है, जो कि चीन की प्रमुख वैक्सीन है। यह वैक्सीन ब्राज़ील, विली, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस के साथ ही तुर्की और इंडोनेशिया तक पहुंचने की खबरें भी रहीं, लेकिन चूंकि चीन आंकड़ों का खुलासा नहीं करता इसलिए इसके कारोबार को लेकर स्पष्टता नहीं है, फिर भी इस वैक्सीन का अरबों डॉलर का बाज़ार तो है ही। रूस की वैक्सीन स्पूतनिक एडेनोवायरस तकनीक आधारित है, जिसे यूरोपीय संघ ने अप्रूव तो नहीं किया है, फिर भी हंगरी और स्लोवाकिया ने खरीदा है। करीब 50 देशों से इसे खरीदा जा रहा है। एस्ट्राज़ेनेका भी स्पूतनिक के साथ अपनी वैक्सीन के शॉट्स के बारे में टेस्ट कर रही है। इसके भी आंकड़े खुले नहीं हैं इसलिए इसके भी अरबों के व्यापार का अनुमान ही है, विश्लेषण नहीं। इसी तरह नोवावैक्स और क्यूरवैक की कीमतों के आंकड़े भी सामने आने बाकी हैं।