जबलपुर। शहर के एक निजी स्कूल पर शिक्षा मंत्री के आदेश की नाफरमानी का आरोप लगा है। आरोप है कि एक छात्र को फीस नहीं दे पाने के कारण परीक्षा से कर दिया गया। कोरोना काल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने आदेश दिया था कि यदि किसी छात्र की स्कूल फीस नहीं जमा हो सकी हो तो भी स्कूल उन्हें परीक्षा से वंचित नहीं कर सकेंगे लेकिन जबलपुर के अधारताल क्षेत्र के रामनगर में स्थित एक निजी स्कूल ने सरकार के आदेश की नाफरमानी करते हुए ९ वीं कक्षा के एक छात्र को परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया। जिससे विवाद खड़ा हो गया और अभिभावक कल्याण संघ ने इस मामले में अपना विरोध जताया है। 

नहीं किया जा सकता परीक्षा से वंचित...........
अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष हेमंत पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का स्पष्ट आदेश था कि कोई भी स्कूल छात्रों को फीस नहीं चुकता होने के कारण परीक्षा से वंचित नहीं कर सकेंगे, इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी किया, किंतु इस आदेश की नाफरमानी निजी स्कूल ने की है। उसने ९वीं कक्षा के छात्र मातेश पिता शैलेष श्रीवास्तव को परीक्षा में बैैठने से वंचित कर दिया। बच्चा जब परीक्षा देने सुबह स्कूल गया तो वहां पर उसे रोक लिया गया और घर पर फोन लगवाकर फीस चुकाने के लिए कहा गया, इस संबंध में पूर्व में छात्र के पिता शैलेष श्रीवास्तव ने स्कूल को एक आवेदन भी लिखकर दिया था कि इस माह वे फीस चुकाने में असमर्थ हैं, अगले माह पूरी फीस चुकता कर देंगे, जिसके बावजूद भी स्कूल प्रशासन फीस वसूूलने अड़ा रहा। अभिभावक कल्याण संघ ने इस मामले को राज्य सरकार व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाने का निर्णय लिया है।