भोपाल । पिछले चुनाव में बुंदेलखंड क्षेत्र की आधी से अधिक सीटें जीतने वाली भाजपा की इस बार स्थिति कुछ कमजोर है। इसकी वजह यह है कि पार्टी के आधे विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है। इसको देखते हुए पार्टी में बुंदेलखंड पर अपना फोकस बढ़ा दिया है। दरअसल, बुंदेलखंड अंचल में अनुसूचित जाति का वोटर अहम भूमिका निभाता है। अंचल में 22 प्रतिशत वोट बैंक होने के चलते यह गेम चेंजर की भूमिका में रहता है। यही वजह है कि भाजपा इस वोट बैंक को साधकर मिशन 2023 के चुनाव में बढ़त लेने की कोशिश में है। खास बात यह है कि एससी वर्ग के लिए भले ही 6 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन यह वोटबैंक 15 सीटों पर अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में अगर बुंदेलखंड की आरक्षित सीटों पर भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब हो जाती है तो मिशन 2023 के लिए पार्टी की राह आसान हो सकती है।
गौरतलब है कि बुंदेलखंड अंचल में 6 जिलों की 26 सीटों में से भाजपा उपचुनाव के बाद 16 सीटों पर काबिज है। इनमें से करीब 50 फीसदी यानी 8 विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है। जिससे टिकट पर तलवार लटकी है। पार्टी हाईकमान ने कुछ लोगों को इस बारे में संकेत भी दे दिए हैं। यहां नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी है। क्षेत्र में कई मौजूदा विधायकों के प्रति एंटी इनकम्बेंसी के चलते सत्ता- संगठन के नेता उन्हें कई महीने पहले परफॉर्मेंस सुधारने की नसीहत भी दे चुके हैं।
भाजपा ने बुंदेलखंड में अपनी बढ़त बरकरार रखने की कवायद में जुट गई है। इसके लिए नए चेहरों की तलाश भी चल रही है। भाजपा ने अपने 39 उम्मीदवारों की पहली सूची में इस अंचल की 5 हारी हुई सीटों के प्रत्याशी घोषित किए हैं, जिनमें 3 पर चेहरे बदल दिए । इस अंचल की सभी सीटों पर टिकट को लेकर कई दौर की चर्चा हो चुकी है। भाजपा हाईकमान, सत्ता-संगठन और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने स्तर पर अलग- अलग चुनावी सर्वे भी करा लिए हैं। इनमें खासतौर पर बीना, जबेरा, हटा, निवाड़ी, चंदला और पवई विधानसभा क्षेत्रों की रिपोर्ट को लेकर चिंता जताई जा चुकी है। इन सीटों के अलावा खरगापुर और पन्ना का फीडबैक संतोषप्रद नहीं बताया गया है। इन दोनों सीट का प्रतिनिधित्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह और हाल ही में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए राज्यमंत्री राहुल सिंह लोधी करते हैं।
जानकारी के अनुसार सागर की 8 में से देवरी के अलावा बंडा और बीना को लेकर चुनौती ज्यादा है। बंडा में इस बार पार्टी ने नया चेहरा दिया है। हारी सीट देवरी में जिताऊ चेहरा ढूंढा जा रहा है। बीना की सर्वे रिपोर्ट के मद्देनजर प्रत्याशी के नाम पर सस्पेंस है। सागर, खुरई, सुरखी, रहली और नरयावली के लिए संगठन ने विधायकों को ज्यादा गंभीर रहने को कहा गया है। वहीं छतरपुर जिले की छह सीटों में से पिछले चुनाव में भाजपा के हिस्से में केवल अजा के लिए रिजर्व चंदला सीट ही आई थी। बाकी 5 राजनगर, बिजावर, महाराजपुर, छतरपुर और बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्रों में उसे हार का सामना करना पड़ा था। राजनगर और महाराजपुर में सत्ता- संगठन के नेता सहमति बनाने की कवायद में जुटे हैं। बिजावर सीट पर सपा के टिकट पर जीते राजेश शुक्ला ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। इस बार ऐसी संभावना है कि भाजपा उन्हें टिकट दे सकती है। दमोह के अलावा जबेरा और हटा को भी इस बार संगठन चुनौतीपूर्ण मान रहा है। पवई में प्रहलाद लोधी के स्थान पर संगठन संघ से जुड़े किसी नए चेहरे पर विचार कर रहा है।
भाजपा के 8 विधायकों के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी
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