
बस के पिछले गेट से गिरे सात भैया-बहनों को तैरकर निकाला, एक बच्चा तो फिर भी मेरी आंखों के सामने बह गया
मंगलवार तड़के सीधी से सतना जा रही बस के बाणसागर की नहर में गिरने से 45 जान चली गई। शव अभी भी खोजे जा रहे हैं। इस हादसे में सात यात्रियों को समय रहते बचा लिया गया। जैसे ही हादसा हुआ, पास के सरदा गांव से सबसे पहले एक युवती और उसे देखकर दूसरी युवती दौड़ पड़ी। इन्होंने खुद की जिंदगी की परवाह किए बगैर पानी से भरी नहर में छलांग लगा दी। बस की खिड़कियों से कुछ लोगों को निकलकर बहते देखा। वे उनकी तरफ गईं और एक-एक करके सात को बचा लिया। इनमें तीन पुरुष, तीन महिलाएं और एक बच्चा शामिल है। हादसे में बस से सात यात्रियों को बचाने वाली रीयल हीरो शिवरानी और आशा बंसल ने बताई हादसे की पूरी कहानी।
सरदा गांव की शिवरानी लोनिया कहती हैं ‘सुबह सात से साढ़े सात बजे की बात होगी। मैं घर के बाहर बैठी थी। अचानक बस को नहर में गिरते देखा। भाई के साथ मिलकर नहर तरफ भागी और सीधे पानी में कूद गई। बस के पिछले हिस्से का दरवाजा खुला था। हमने एक के बाद छह से सात लोग बहते हुए नजर आने लगे। तैरकर उनके पीछे गईं और एक एक करके निकाला। तब तक गांव के और भी लोग आ गए थे। उनकी मदद से किनारे तक ले आए। बस में 50 के आसपास लोग रहे होंगे। वे बताती हैं कि यहां अकसर जाम रहने के कारण बसें निकलती रहती हैं।’
टायर फिसला, ड्राइवर से ब्रेक नहीं लगा और बस नहर में जा गिरी : आशा
मौके पर सात लोगों की जान बचाने वाली सरदा गांव की आशा बंसल ने बताया बस सुबह-सुबह के टाइम गिरी। हमारे सामने गाड़ी का पिछला सबसे पहले नहर की तरफ गिरा। ड्राइवर ने बस को ऊपर लाने की कोशिश की लेकिन ऐसा लगता है कि उससे ब्रेक ही नहीं लग रहा था और बस नहर में गिर गई। हम जोर से चिल्लाए, थोड़ी ही देर में पूरा गांव बचाने के लिए टूट पड़ा। फोन किया तो पुलिस और प्रशासन के लोग भी आधा घंटा में पहुंच गए। सबसे पहले सात भैया, सात बहन और एक बच्चे को बचाया। मेरी आंखों के सामने एक बच्चा नहर में बह गया। क्या पता कहां गया होगा।