चेन लूट पीड़िता शिक्षिका का दर्द:बदमाशों का डर इतना कि दो दिन से छुट्टी पर रहीं, बाेलीं - पहले तो आराम से घूमती थी, अब तो पास से कोई बाइक वाला भी निकलता है तो सिहर जाती हूं
 


नंदा नगर स्कूल की शिक्षिका नवनीता बरूआ।

सामने से बदमाशों को देखने के बाद से पीड़िता में बैठा डर, बोली - पास में बेटा आया तो उससे भी डर गई

मैंने बदमाशों को सामने से देखा था। जब वो मेरे पास विक्रम नाम के युवक का पता पूछने आए तो मैंने मना किया। फिर बदमाश ने सामने से करीब आकर अचानक मेरी तरफ हाथ बढ़ाया। इतना कि मैंने डरकर आंखें बंद कर ली। जब आंखे खोली तो देखा उसके हाथ में मेरी चेन थी। मैं चिल्लाई, तभी बाहर पड़ोसी और मेरी भाभी निकली, लेकिन तब मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। पांच दिन पहले हुई इस घटना के बाद से मैं इतनी डर गई हूं कि अब कोई भी बाइक वाला पास से निकलता है तो सिहर उठती हूं। पहले तो पूरे शहर में आजादी से घूमती थी, लेकिन डर इतना लगा कि दो दिन तक स्कूल से छुट्टी ले ली थी। लूट के बाद जो मानसिक तनाव आता है, उसे बयां नहीं कर सकती। यह कहना है नंदा नगर स्कूल की शिक्षिका नवनीता बरूआ का, जिनके साथ गुरुवार को लसूडिया के पंचवटी कॉलोनी में लूट हुई है।

बकौल शिक्षिका घटना गुरुवार दोपहर 12.20 बजे पंचवटी कॉलोनी के सामने रहने वाले मेरे पिताजी के घर के ठीक सामने की है। मैं नंदानगर सरकारी स्कूल में शिक्षिका हूं। मेरी सुबह से थोड़ी तबीयत नरम-गरम लग रही थी। इसलिए मैंने स्कूल की चाबी वहां पहुंचकर एक शिक्षिका को दी। फिर मेरी मां का फोन आय़ा कि पिताजी की तबीयत खराब है, उनकी दवाई लाना है। इसलिए मैं नंदा नगर पर एक केमिस्ट के यहां पहुंची। वहां मेरे आगे एक लड़का ख़ड़ा था। उसने काले रंग की ड्रेस पहन रखी थी। उसके हाथ में एक रैपर था, लेकिन न तो उसके हाथ में कोई पर्ची थी और ना उसे दुकानदार से कुछ बात की।

मैं उसके पीछे खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। वह मुझे एक टक घूर रहा था। जब मेरा उससे आई कांटेक्ट हुआ तो वह घूरने लगा। मुझे ऐसा लगा कि वह कोई बदमाश है, लेकिन मैंने थोड़ा सा झेंपकर आंखे नीचे कर ली। करीबन 30 मिनट में मैंने दवाई ली औऱ फिर अपने पिताजी की घर की तरफ निकली। मुझे लगा कि कोई मेरा पीछा कर रहा है, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया।

वह अपने दूसरे साथी की बाइक पर चिल्लाते हुए आगे निकला। जब में पिताजी के घर के सामने पहुंची तो दूसरा बदमाश उतरकर आया। पूछा कि यहां कोई विक्रम रहता है। मैंने मना किया तो वह पास आया। बोला पास वालों से पूछ लेता हूं। फिर वह अचानक मेरे सामने बढ़ा। उसने हाथ आगे बढ़ाया तो मैंने डरकर आंखे बंद की और जैसे ही खोली तो मेरी चेन उसके हाथ में थी। मैं चिल्लाई तो वह भागा। फिर मेरी भाभी बाहर आई औऱ बोली उनका पीछा करो, लेकिन वे भाग गए थे।

बेटे से भी डर गई

घटना के बाद मैंने थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करवाई। शाम को जब मेरा बेटा मेरे पास बाइक लेकर आया तो मैं डर गई। एक पल के लिए लगा कि बदमाश फिर आ गया। पहले मैं आजाद जैसा महसूस करती थी, लेकिन उस घटना के बाद से मुझमें डर बैठ गया है। इसलिए मैंने सामान्य होने के लिए स्कूल से दो दिन की छुट्टी भी ले ली है। मुझे लगता है कि ऐसी घटनाएं जिन लोगों के साथ होती होंगी वे सभी सहम जाते होंगे। यह एक अलग तरह का मानसिक डर है।