नई दिल्ली: पूर्वोत्तर लद्दाख के चुमार क्षेत्र में 4 दिनों से चल रहे तनाव की स्थिति उस समय कम हो गई जब गुरुवार रात चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र से पीछे हटना शुरू कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, चीनी सैनिक रात 9 बजकर 45 मिनट से अपने क्षेत्र में लौटने लगे। इसके बाद लेह से 300 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित इस क्षेत्र में भारी संख्या में मौजूद भारतीय सैनिकों ने भी अपनी उपस्थिति को कम करना शुरू कर दिया।

सूत्रों ने बताया कि फिलहाल स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है क्योंकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पी.एल.ए.) वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास डेरा डाले हुए है और स्थिति की शुक्रवार को समीक्षा की जाएगी। बहरहाल, देमचक में आमना सामना की स्थिति बनी हुई है जहां चीनी खानाबदोश ‘रेबो’ पिछले 12 दिनों से टेंट लगाए हुए हैं। इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र में 500 मीटर अंदर घुसपैठ हुई है।

चीनी खानाबदोश पी.एल.ए. की, स्थानीय ग्रामीणों द्वारा सिंचाई के लिए एक नहर के निर्माण का विरोध करने में सक्रियता से मदद कर रहे हैं। देमचक और चुमार के तनाव का प्रभाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शिखर स्तर की वार्ता पर भी पड़ा।

रविवार और सोमवार के बीच की रात करीब 100 भारतीय सैनिकों को 300 चीनी सैनिकों ने कथित तौर पर घेर लिया, जिसके बाद गतिरोध शुरू हो गया जो अभी तक जारी है। भारत ने इस क्षेत्र में कुमुक भेजी है और वे चीनी सैनिकों को आगे नहीं बढने दे रहे हैं तथा उनसे पीछे लौटने को कह रहे हैं। भारतीय और चीनी सेना एक दूसरे से 200 मीटर की दूरी पर आमने-सामने हैं।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश से लगे लद्दाख में चुमार आखिरी गांव है जो चीन के साथ विवाद की जड़ा है, जिसे चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। वर्ष 2012 में पी.एल.ए. ने क्षेत्र में अपने कुछ सैनिक इस क्षेत्र में उतारे थे तथा सेना एवं आई.टी.बी.पी. के अस्थाई तंबुओं को नष्ट कर दिया था।

दौलत बेग ओल्डी में पिछले साल करीब पखवाड़े भर चले गतिरोध में चुमार चर्चा के केंद्र में रहा।17 जून को भी चुमार में चीनी सैनिकों की चहलकदमी देखी गई थी।