वॉशिंगटन । रूस को अपना दुश्‍मन नंबर एक बताने वाले अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन भारत को बड़ा झटका दे सकते हैं। दरअसल, भारत-रूस से अत्‍याधुनिकएस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम खरीदने के फैसले पर अटल है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन डील का कड़ा विरोध कर रहा है। इसकारण अब खतरा मंडरा रहा है कि बाइडेन तुर्की की तरह से भारत पर भी कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम अब मोदी सरकार और बाइडेन प्रशासन के बीच दोस्‍ती में बड़ा कांटा' बन गया है। भारत रूस से 5.4 अरब डॉलर में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम ले रहा है। यही नहीं भारत रूस के हथियारों का बहुत बड़ा ग्राहक है। भारत ने अमेरिका के ऑफर को ठुकराकर रूसी सिस्‍टम पर दांव लगाया है। भारत ने ऐसा चीन और पाकिस्‍तान के खतरे को देखकर अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया है। हाल ही में चीन ने भी भारतीय सीमा के पास एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम ही तैनात कर रखा था। इस वजह से भारत को इस सिस्‍टम की और ज्‍यादा जरूरत आन पड़ी है।
भारत ने अमेरिका को दो टूक बता दिया है कि वह सिस्‍टम को खरीदने से पीछे नहीं हटेगा। भारत रूस ही नहीं अमेरिका से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है। इसमें अपाचे हेलिकॉप्‍टर, चिनूक और पी-8 आई निगरानी विमान शामिल हैं। हालांकि अभी भी भारत के 60 फीसदी हथियार रूसी हैं। भारत के अपने फैसले पर अटल रहने पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका ने रूस से एस-400 खरीदने पर तुर्की के खिलाफ सीएएटीएसए के जरिए प्रतिबंध लगा दिया था।
अमेरिका को डर है कि एस-400 के जरिए रूस अमेरिकी हथियारों से जुड़े राज जान सकता है। एमआईटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर विपिन नारंग ने कहा, असलियत यह है कि नाटो सदस्‍य देश तुर्की भी अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं बच सका, इससे पता चलता है कि अमेरिका एस-400 को लेकर कितना चिंतित है। यह संभवत: केवल कूड़ा नहीं है। भारत का इस साल एस-400 लेने पर जोर बाइडेन प्रशासन को भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर मजबूर कर सकता है।' बता दें कि भारती सेना के विशेषज्ञों को जल्‍द ही एस-400 के इस्‍तेमाल का प्रशिक्षण‍ मिलने वाला है।