
बीजिंग । चीनी प्रोफेसर ने कहा है कि मार्च 2023 में ही देश की युवा बेरोजगारी दर 50 फीसदी के करीब पहुंच चुकी है। प्रोफेसर के दावों के बाद चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनएसए) के आधिकारिक आंकड़ों पर बहस शुरू हो गई है। साथ ही देश के कमजोर पड़ते श्रम बाजार की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। एनएसए की ओर से कहा गया था कि 16 से 24 साल तक की आयु के लोगों के लिए मार्च महीने की बेरोजगारी दर 19.7 फीसदी थी।
पेकिंग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर झांग डैंडान ने एक आर्टिकल लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि अगर 16 मिलियन युवा जो छात्र नहीं है और घर पर है या अपने माता-पिता पर निर्भर हैं, तब फिर बेरोजगारी की दर 46.5 फीसदी तक हो सकती है। झांग, पेकिंग यूनिवर्सिटी के के नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट में अर्थशास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनका आर्टिकल जो पिछले दिनों आया था अब इंटरनेट से हटा दिया गया है। जो आंकड़ें एनएसए की तरफ से पिछले दिनों आए थे उनके मुताबिक जून में बेरोजगारी दर 20 फीसदी से ज्यादा थी।
चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। नीति निर्माताओं ने कोविड-19 महामारी के बाद से अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर स्थिति में लाने के लिए संघर्ष किया है। झांग ने लिखा उसमें उन्होंने पूर्वी चीन में स्थित सूजौ और कुशान के मैन्युफैक्चरिंग सेंटर्स का हवाला दिया। उन्होंने लिखा, मार्च तक इन केंद्रों पर सिर्फ दो-तिहाई रोजगार ही बहाल हुए है। जबकि महामारी कमजोर पड़ चुकी है। उनका कहना था कि युवा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का अहम हिस्सा होते हैं। इसके अलावा अतिरिक्त, ट्यूशन, प्रॉपर्टी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेक्टर में भी युवा कर्मचारियों और अच्छी तरह से शिक्षित लोगों पर नकरात्मक असर पड़ा है। चीन की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट वीबो पर एक यूजर ने झांग के आर्टिकल की आलोचना कर तथ्यों से परे बताया। जबकि कुछ और यूजर्स ने इस पर चर्चा की कि चीन में नौकरी ढूंढना अभी भी कितना कठिन है।