भोपाल। प्रदेश के लिए अच्छी खबर है। पांच वर्ष में यहां गरीबी में 16 प्रतिशत की कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-4 के अनुसार 2015-16 में प्रदेश के 36.57 प्रतिशत लोग गरीब थे, जो एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 में घटकर 20. 63 प्रतिशत रह गए हैं। इन पांच सालों में सर्वाधिक गति से गरीबी दूर करने में बिहार के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है। बिहार में 18 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 15 प्रतिशत और ओडिसा में 13.65 प्रतिशत की कमी आई है।
हालांकि, सर्वाधिक गरीबी प्रतिशत वाले राज्यों में अब भी मध्य प्रदेश का क्रम बिहार, झारखंड, मेघालय और उत्तर प्रदेश के बाद पांचवें पायदान पर है। केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में गरीब दर पांच प्रतिशत से भी कम है। पूरे देश की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल के दौरान वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2019-20 के बीच 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर निकले। यह जानकारी सोमवार को जारी नीति आयोग की राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट में दी गई।
यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर से जुड़े कुल 12 मानकों के आधार पर जारी किया गया। इन मानकों में पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015-16 में 24.85 प्रतिशत भारतीय बहुआयामी गरीबी के दायरे में थे।
वर्ष 2019-20 में यह संख्या घटकर 14.96 प्रतिशत रह गई। इस अवधि में सरकार की तरफ से स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, पोषण अभियान, समग्र शिक्षा, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना, उज्ज्वला, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी कई स्कीम की शुरुआत की गई, जिससे देशवासियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर पहले की तुलना में बेहतर हुए।
ग्रामीण इलाकों में तेजी से घटी गरीबी
वित्त वर्ष 2015-16 में देश के ग्रामीण इलाके में रहने वाले 32.59 प्रतिशत लोग बहुआयामी गरीबी के शिकार थे। वित्त वर्ष 2019-20 की समाप्ति तक यह संख्या घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई। 2015-16 में शहरों में 8.65 प्रतिशत लोग बहुआयामी रूप से गरीब थे, जिनकी संख्या वर्ष 2019-20 में घटकर 5.27 प्रतिशत रह गई। इन पांच सालों के दौरान सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए। 36 राज्यों और संघीय प्रदेशों के 707 प्रशासनिक जिलों की बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली नीति आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है कि गरीबी में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और राजस्थान जैसे राज्यों में हुई है।
पांच सालों में कितना प्रतिशत घटी गरीबी
राज्य 2015-16 2019-20 बिहार 51.89 प्रतिशत 33.76 प्रतिशत उत्तर प्रदेश 37.68 प्रतिशत 22.93 प्रतिशत झारखंड 42.10 प्रतिशत 28.81 प्रतिशत मध्य प्रदेश 36.57 प्रतिशत 20.63 प्रतिशत उत्तराखंड 17.67 प्रतिशत 9.67 प्रतिशत पंजाब 5.57 प्रतिशत 4.75 प्रतिशत हरियाणा 11.88 प्रतिशत 7.07 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश 7.59 प्रतिशत 4.93 प्रतिशत