इलाज में लापरवाही के कारण नवजात की मौत
प्रसूता को तीस हजार रूपये दो माह में अदा करें

आयोग ने की अनुशंसा

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने बालाघाट के जिला चिकित्सालय में एक प्रसूता को समुचित इलाज न मिलने पर उसके नवजात की मौत हो जाने के मामले में प्रसूता को तीस हजार रूपये क्षतिपूर्ति दो माह में देने की अनुशंसा की है। राज्य शासन चाहे, तो इस राशि की वसूली संबंधित डाॅक्टर एवं अन्य चिकित्सकीय स्टाॅफ से कर सकता है। अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन शासकीय अस्पतालों में प्रसूताओं के लिए रक्त की आवश्यकता पर शीघ्र व्यवस्था और प्रसूताओं के सीजेरियन आॅपरेशन की आवश्यकता उपरांत यथाशीघ्र उचित व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने हेतु, चिकित्सा विशेषज्ञों से अभिमत प्राप्त कर प्रभावी दिशा-निर्देश दो माह में जारी करेे, जिससे शासकीय अस्पतालों में सामान्यतः कमजोर वर्ग और निर्धन परिवार से संबंधित आ रही ऐसी प्रसूताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित मौलिक/मानव अधिकारों का उचित संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
    आयोग के प्रकरण क्रमांक 5256/बालाघाट/2018 के अनुसार प्रसूता श्रीमती ज्योति लिल्हारे को 20 जून 2018 को जिला चिकित्सालय बालाघाट में भर्ती कराये जाने के पश्चात् प्रसव सीजेरियन के जरिये ही होना आवश्यक माने जाने के उपरंात भी यथा समय उसके ऐसे आपरेशन की व्यवस्था नहीं की गई। अंततः 22 जून 2018 को अनुचित विलम्ब से हुए आपरेशन उपरांत उसे मृत बच्चा उत्पन्न के कारण प्रसूता श्रीमती ज्योति लिल्हारे के जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधिकार के संरक्षण के दायित्व की उपेक्षा से नवजात की मृत्यु एवं उसके मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई।