इंदौर । महू के बाद अब इंदौर में बड़ा राशन घोटाला उजागर हुआ है। कलेक्टर मनीष सिंह ने खुद पूरे मामले का मंगलवार को खुलासा करते हुए बताया कि जिले में 80 लाख का राशन घोटाला हुआ है। राशन माफियाओं ने जिम्मेदारों से सांठ-गांठ कर 51 हजार गरीब परिवारों के हक का ढाई लाख किलो से ज्यादा राशन डकारा है। मामले में माफिया भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहिगुडे के खिलाफ रासुका की कार्यवाही की जा जाएगी। वहीं, निलंबित खाद्य अधिकारी आरसी मीणा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है।
कलेक्टर ने बताया कि भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे के साथ ही इनके परिचितों के बारे में शिकायत मिली कि इनके द्वारा संचालित शासकीय उचित मूल्य दुकानों में या तो सामग्री नहीं दी जा रही या फिर कम वितरण हो रहा है। इस पर 12 शासकीय उचित मूल्य दुकानों को चिन्हित किया गया। 12 जनवरी को 12 शासकीय उचित मूल्य दुकानों पर टीम ने दबिश देकर रिकार्ड एवं पीओएस मशीन जब्त की। उसी दिन टीम ने इन दुकानों में संग्रहित राशन सामग्री का भौतिक सत्यापन किया। जांच में अप्रैल 2020 से ही खाद्यान्न, शक्कर, नमक, दाल और केरोसिन की मात्रा कम या ज्यादा मिली। साथ ही कई अनियमितताएं भी पाई गईं। इस पूरे मामले में मास्टर माइंड भरत दवे पर्दे के पीछे रहकर अपने कई रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से राशन दुकानें संचालित कर पूरा हेर-फेर कर रहा था।
51 हजार परिवारों के राशन पर डाका
टीम ने जब दुकानों का रिकार्ड देखा तो इसमें गेहूं 185625 किलो, चावल 69855 किलो, नमक 3169 किलो, शक्कर 423 किलो, चना दाल 2201 किलो, साबुत चना 1025 किलो, तुअरदाल 472 किलो, केरोसीन 4050.5 लीटर में बड़बड़ी मिली। माफियाओं ने 185625 किलो गेंहू और 69855 किलो चावल कुल मिलाकर 255480 किलो खाद्यान्न जिसकी कीमत 7904479 है, का गवन किया। प्रति व्यक्ति 5 किलो के मान से माफियाओं ने 51096 हितग्राहियों को राशन से वंचित किया। इसके अतिरिक्त मिटटी का तेल (केरोसिन) नमक, शक्कर, चना दाल, साबुत चना, तुवर दाल में भी गबन किया। इन्होंने गरीबों को उचित जानकारी नहीं होने पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का राशन वितरित ही नहीं किया। ये सिर्फ मात्र हर महीने मिलने वाला राशन ही उपभोक्तओं को बायोमेट्रिक सत्यापन पीओएस मशीन में कर दे रहे थे। ये यहां से राशन बचा कर बाजार में बेच रहे थे।
इंदौर में 80 लाख का राशन घोटाला
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