CM शिवराज बोले:MP का अगला बजट 'आत्मनिर्भर' होगा, विशेषज्ञों व अर्थशास्त्रियों की सलाह से तैयार करेंगे आर्थिक ढांचा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन ने कहा है कि मप्र का अगला बजट अत्मनिर्भर होगा। इसके लिए हर सेक्टर के एक्सपर्ट और अर्थशात्रियों की सलाह ली जाएगी।
कहा, आम आदमी के सुझाव भी लिए जाएंगे, जनता का, जनता द्वारा जनता के लिए होगा यह बजट
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य का अगला बजट 'आत्मनिर्भर' होगा। उन्होंने कहा कि बजट केवल मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसर नहीं बनाएंगे, बल्कि अलग-अलग सेक्टर के विषय विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों की सलाह पर इसका आर्थिक ढांचा तैयार किया जाएगा। दरअसल, कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब होने के बाद से सरकार का फोकस राज्य में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करने की है। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोडमैप भी इसको ध्यान में रखकर आगे बढ़ाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने राजगढ़ प्रवास के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कह कि कोरोना काल में मप्र सरकार ने सुधार के कई काम किए हैं। केंद्र सरकार ने चार सुधार दिए थे। वन नेशन वन राशन कार्ड हो या फिर शहरी क्षेत्रों के मामले में हो, इसे हमने पूरा कर दिया है।
इसका लाभ भी मध्य प्रदेश को मिलेगा।
पहला बजट पेश करेगी शिवराज सरकार
शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल में पहला (वित्तीय वर्ष 2021-22) बजट विधानसभा में पेश करेगी। दरअसल, कमलनाथ सरकार 20 मार्च को सत्ता से बाहर हो गई थी और 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी, लेकिन सरकार कोरोना संक्रमण के चलते मौजूदा वित्तीय वर्ष (2020-21) का बजट विधानसभा से पारित नहीं करा पाई थी। सरकार अध्यादेश के जरिए लाए गए 1 लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपए के लेखानुदान से खर्च चला रही है।
..तो घट जाता 15% बजट
जानकारों का कहना है कि यदि शिवराज सरकार मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट विधानसभा में पेश करती तो इसमें 15% की कमी आ सकती थी। क्योंकि पिछले यानि 2019-20 में केंद से मिलने वाली राशि में 15 से 20 हजार करोड़ रुपए की कमी आने का अनुमान था।
75 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है वेतन-भत्तों का खर्च
इधर, वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि वेतन-भत्तों का खर्च इस बार 75 हजार करोड़ रुपए सालाना तक पहुंच सकता है। इसमें नियमित, संविदा, अंशकालिक कर्मचारियों के साथ पेंशनर्स को देय वेतन/पेंशन और भत्ते शामिल हैं। अकेले पांच फीसदी महंगाई भत्ते व राहत में वृद्धि पर ही लगभग 3 हजार करोड़ रुपए का भार खजाने पर आ रहा है।