चोरी, नकबजनी, लूट और हत्या जैसे संगीन और सनसनीखेज अपराधों के बारे में सुनकर ही लोग सिहर उठते हैं. लेकिन एक ऐसी लुटेरी गैंग हैं जिसके सदस्य कहते हैं कि ये सब करने के लिए ही वो पैदा हुए हैं. लूट और हत्या के वे इतना आदी हो चुके हैं कि उन्हें इसके सिवा कुछ सूझता ही नहीं है.

ये है राजस्थान की मोग्या गैंग और उससे जुड़े बदमाश. टोंक जिले में रहने वाले ख़ानाबदोश जाति के लोगों की यह गैंग कई सालों बाद एक बार फिर चर्चा में हैं.

दरअसल, इस गैंग के तीन युवक पुलिस के शिकंजे में फंसे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि 20 वर्ष से भी कम आयु के ये बदमाश 40 से भी ज्यादा वारदातों को अंजाम दे चुके हैं.

कौन हैं मोग्या? क्यों बदनाम है गैंग?

मोग्या जाति के लोग खानाबदोश होते हैं और मोग्या गैंग के सभी लोग इसी जाति से जुड़े हैं. ये सुनसान इलाकों मे वारदात को अंजाम देते हैं. राजस्थान की राजधानी से सटे तीन-चार जिलों में इनकी ऐसी दहशत है कि इनके नाम से ही लोग सिहर जाते हैं. इंसानियत से इनका कोई वास्ता नहीं, मौका मिला और आदमी को मार डालते हैं.

पुलिस की गिरफ्त में आए ये तीन युवक राज्य के चार जिलों में लूट के लिए अभी तक पांच हत्याएं करने की बात स्‍वीकार कर चुके हैं.  साथ ही अभी तक 3 दर्जन से अधिक चोरी, नकबजनी और लूट की वारदातों को भी स्वीकार कर चुके हैं.

बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी

कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस के हत्थे चढ़े इन तीन बदमाशों में से एक जनकपुरा का रहने वाला मुकेश मोग्या उर्फ कटोरा है. वह कुख्यात नकबजन बद्री मोग्या का बेटा है जो हमेशा से ही पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा है.

मर्डर के बाद पत्नियां मनाती हैं जश्न, करती हैं नृत्य

ख़ास यह भी है कि मुकेश भी अपने पिता की तरह ही दो पत्नियां के साथ सूने इलाकों में डेरों में रह अलग-अलग जगह आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. उसके साथ गिरफ्त में आए रामस्वरूप जरेली उर्फ लूंगा और राधेश्याम उर्फ बुच्या कभी मुकेश के साथ तो कभी अलग-अलग बदमाशों के साथ मिलकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते रहते थे. यह भी कहा जाता है कि लूट के जेवर लेकर डेरे पर पहुंचने पर गैंग के सदस्यों की पत्नियां जश्न मनाती हैं. लूट के गहने पहन कर नृत्य करती हैं.

इन तरीकों से कभी पकड़ में नहीं आते मोग्या

टोंक जिले में अब तक सात नकबजनी और चोरी की वारदातें करने की बात मान चुके इन तीनों बदमाशों नें पुलिस को पूछताछ में बताया कि किसी भी वारदात को अंजाम देने के लिए ना सिर्फ सुनसान इलाके को चुना करते थे. साथ ही वहां जाने से पहले मोबाइल भी बंद रखते हुए सूने रास्तों को चुना करते थे.

हत्या के ऐसे तरीके की रूह तक कांप जाए

तीनों नें पुलिस को पूछताछ में यह भी बताया है कि वे हत्या किए जाने से पहले न सिर्फ लोगों के मुंह में पत्थर ठूंस दिया करते थे बल्कि जेवरात लूट के लिए हाथ और पांव तक काट दिया करते थे.

बेसबॉल के बल्ले से हडि्डयां तोड़कर निकाल लेते हैं गहने

पहले महिलाओं के पैर काट कर कड़े चुराने का तरीका अब गैंग ने बदल दिया है. तीनों ने पुलिस को यह भी बताया है कि पिछली कुछ हत्याओं में उन्होंने लोगों की एड़ियों को बेसबॉल के बल्ले(लकड़ी) के प्रहार से तोड़कर भी जेवरात निकाले थे.

लुटेर मर्डर करने का पछतावा नहीं, बल्कि देवी का वरदान मानते हैं

एसएसपी शर्मा बताते हैं कि पूछताछ के दौरान तीनों नें बताया कि हत्या किया जाना उनके लिए दैवीय वरदान है लिहाजा वे इसको अंजाम दिए जाने में ज़रा भी नहीं हिचकते थे.