मुंबई
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पंजाब की तरह अगर सभी प्रभावित राज्य किसानों की कर्जमाफी का ऐलान कर दें तो सरकारी खजाने पर हर साल 2.5 लाख करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ेगा। रेटिंग फर्म क्रिसिल ने यह अनुमान लगाया है। अनुमान के मुताबिक यह बोझ जीडीपी का 0.5 प्रतिशत के बराबर होगा।
सामान्य मॉनसून वाले साल में किसानों की कर्जमाफी को 'विरोधाभासी' बताते हुए क्रिसिल ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि अगर दूसरे राज्य भी यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पंजाब की तरह कर्जमाफी की योजना का ऐलान कर दें तो खजाने को कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 0.5 फीसदी प्रति वर्ष का बोझ पड़ेगा। इसका असर 3 सालों से ज्यादा वक्त तक रहेगा।'
रेटिंग फर्म ने कहा कि तमिलनाडु के मामले में यह बोझ काफी ज्यादा होगा क्योंकि वहां सभी राज्यों में सबसे ज्यादा कृषि ऋण है। केरल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी ज्यादा दबाव महसूस हो सकता है।
इस साल फसलों के उत्पादन को लेकर क्रिसिल ने कहा कि कुछ जगहों पर बारिश की कमी के बावजूद खरीफ का उत्पादन अच्छा रहेगा। जिन क्षेत्रों में कम बारिश हुई है, वहां या तो सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है या फिर खरीफ उत्पादन में उनकी हिस्सेदारी पहले से ही काफी कम है। सरकार ने पहले अनुमान लगाया था इस साल खरीफ में खाद्यान्नों के उत्पादन में 2.8 प्रतिशत कमी आ सकती है और तिलहन के उत्पादन में भी 7.7 प्रतिशत की कमी आ सकती है। हालांकि यह कमी इसलिए भी दिख सकती है क्योंकि पिछले साल उत्पादन बहुत ही अच्छा था।